पहाड़ की सेहत सुधारने की कवायद, अस्पतालों से अनावश्यक रेफरल पर लगी रोक, एंबुलेंस सुविधा भी होगी दुरुस्त

Jul 23, 2025 - 00:30
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पहाड़ की सेहत सुधारने की कवायद, अस्पतालों से अनावश्यक रेफरल पर लगी रोक, एंबुलेंस सुविधा भी होगी दुरुस्त
पहाड़ की सेहत सुधारने की कवायद, अस्पतालों से अनावश्यक रेफरल पर लगी रोक, एंबुलेंस सुविधा भी होगी दुरुस्त

पहाड़ की सेहत सुधारने की कवायद, अस्पतालों से अनावश्यक रेफरल पर लगी रोक, एंबुलेंस सुविधा भी होगी दुरुस्त

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रैबार डेस्क: पहाड़ के अस्पतालों से मरीजों को एक जगह से दूसरी जगह बिना वजह के रेफर किए जाने की घटनाओं से कई बार मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ होता है। इसके अलावा, समय पर एंबुलेंस न मिलने से भी मरीजों को परेशानी होती है। इस तरह की लगातार आ रही घटनाओं और शिकायतों का स्वास्थ्य विभाग ने संज्ञान लिया है और अस्पतालों को जरूरी दिशानिर्देश जारी किए हैं।

नई गाइडलाइन की शुरुआत

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर उत्तराखंड सरकार ने सरकारी अस्पतालों में अनावश्यक रेफरल पर सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने स्पष्ट किया है कि अब बिना ठोस चिकित्सकीय कारण के किसी भी रोगी को जिला और उप-जिला अस्पतालों से उच्च संस्थानों जैसे मेडिकल कॉलेजों या बड़े अस्पतालों को रेफर नहीं किया जाएगा।

स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि प्रत्येक मरीज को प्राथमिक उपचार और विशेषज्ञ राय जिला स्तर पर ही मिले। अनावश्यक रेफरल से न केवल संसाधनों पर दबाव बढ़ता है बल्कि मरीज को समय पर समुचित इलाज नहीं मिल पाता।

रेफरल प्रक्रिया में सुधार

स्वास्थ्य विभाग ने एक विस्तृत Standard Operating Procedure (SOP) जारी की है, जिससे रेफरल प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार किया जा सके। SOP में निम्नलिखित बिंदु प्रमुखता से शामिल हैं:

  • यदि किसी अस्पताल में आवश्यक विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं, तभी मरीज को उच्च संस्थान भेजा जाएगा।
  • ऑन-ड्यूटी डॉक्टर ही मरीज की जांच करके स्वयं रेफर करने का निर्णय लेंगे।
  • गंभीर अवस्था में ऑन-ड्यूटी विशेषज्ञ व्हाट्सऐप/कॉल के जरिए जीवनरक्षक निर्णय ले सकते हैं, लेकिन बाद में इसे दस्तावेज में दर्ज करना आवश्यक होगा।
  • रेफरल फॉर्म में स्पष्ट रूप से कारणों का उल्लेख होना चाहिए।
  • बिना वजह अनुचित या गैर-जरूरी रेफरल पाए जाने पर संबंधित CMO या CMS को उत्तरदायी ठहराया जाएगा।

एंबुलेंस प्रबंधन में सुधार

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि रेफर करने या मरीज को अस्पताल तक लाने में आमतौर पर एंबुलेंस काफी व्यस्त रहती हैं, जिसका सीधा खामियाजा मरीज को भुगतना पड़ता है। इसीलिए एंबुलेंस की रोटेशनिंग और प्रबंधन सही तरीके से करने की जरूरत है। मुख्यमंत्री धामी के निर्देशानुसार, 108 एंबुलेंस का प्रयोग Inter Facility Transfer (IFT) के तहत ही होगा।

जिलावार एंबुलेंस और शव वाहन की स्थिति

राज्य में वर्तमान में 272 एमरजेंसी 108-एंबुलेंस, 244 विभागीय एंबुलेंस और केवल 10 शव वाहन कार्यरत हैं। कुछ जिलों, जैसे अल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत, पौड़ी और नैनीताल में शव वाहन उपलब्ध नहीं हैं। स्वास्थ्य सचिव ने इन जिलों के CMO को तुरंत वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

पारदर्शिता और जवाबदेही का उद्देश्य

इस कदम का उद्देश्य न केवल मरीजों को समय पर और उपयुक्त इलाज उपलब्ध कराना है, बल्कि सरकारी अस्पतालों की कार्यशैली में पारदर्शिता और जवाबदेही को भी मजबूत करना है। इससे प्रदेश का स्वास्थ्य ढांचा और अधिक सशक्त और उत्तरदायी बनेगा।

कुल मिलाकर, यह सारे उपाय पहाड़ के स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार लाने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं। इससे मरीजों की जिंदगी को सुरक्षित और बेहतर बनाने की दिशा में अहम क़दम उठाया गया है।

टिम asarkari द्वारा लिखित

Keywords:

Health, Uttarakhand Hospitals, Patient Referral, Ambulance Services, Healthcare Improvement, Standard Operating Procedure, Emergency Services, Transparency in Healthcare, District Hospitals

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