मा0 मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में डीएम के भागीरथ प्रयास से शिक्षा बिन सूखे बचपन तक पंहुची ज्ञानगंगा

मा0 मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में डीएम के भागीरथ प्रयास से शिक्षा बिन सूखे बचपन तक पंहुची ज्ञानगंगा
रंग लाई जिला प्रशासन की मुहिम; बाल भिक्षावृत्ति व बालश्रम से मुक्त 57 बच्चों का स्कूल दाखिला कूड़े, कटौरे से कलम की ओर लौटा बचपन। आखर ज्ञान से कम्प्यूटर, संगीत, योग तक।
देहरादून दिनांक 08 अगस्त 2025, (सू वि)। आजकल शिक्षा के बिना विकास की कोई बात नहीं होती, और यह सच भी है। इसी सही सोच के साथ, जिलाधिकारी सविन बसंल के नेतृत्व में जिला प्रशासन ने बाल भिक्षावृत्ति एवं बालश्रम उन्मूलन अभियान के सफल प्रयास किए हैं। इन प्रयासों के द्वारा 57 बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ते हुए स्कूल में दाखिला दिया गया है।
जिला प्रशासन की अभिनव मुहिम
जिलाधिकारी सविन बसंल के मार्गदर्शन में इस अभियान को शिक्षा व बाल कल्याण के क्षेत्र में एक नई दृष्टि से देखा गया है। साधु राम इंटर कॉलेज में एक आधुनिक इंटेसिव केयर सेंटर की स्थापना की गई है, जहां बच्चों को विभिन्न शैक्षिक गतिविधियां प्रदान की जा रही हैं। बच्चों को न केवल बुनियादी शिक्षा दी जा रही है, बल्कि उन्हें कम्प्यूटर, संगीत, योग और खेल जैसी अप-टू-डेट सुविधाओं से भी जोड़ा जा रहा है।
अभियान का उद्देश्य
यह अभिनव उपाय बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए बेहद आवश्यक हो गए हैं। बाल मजदूरी और भिक्षावृत्ति से मुक्त किए गए बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलाना और उन्हें शिक्षा की मुख्यधारा में लाना ही प्रशासन का मुख्य लक्ष्य है। इस पहल के माध्यम से इन बच्चों के जीवन में एक सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास किया गया है।
किस प्रकार किया गया रेस्क्यू?
जिला प्रशासन ने एक योजनाबद्ध तरीके से भिक्षावृत्ति और बाल मजदूरी में संलिप्त बच्चों को रेस्क्यू करने के लिए माइक्रो प्लान का सहारा लिया। सितंबर से अब तक 300 से अधिक बच्चों को इस अभियान के तहत रेस्क्यू किया जा चुका है। यह सभी बच्चे अब शिक्षा की मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं।
भविष्य की राह
आधुनिक इंटेसिव केयर सेंटर का उद्देश्य सिर्फ शिक्षा नहीं, बल्कि बच्चों का समग्र विकास भी है। इस सेंटर में प्रशिक्षित शिक्षकों के माध्यम से एक्टिविटी-बेस्ड लर्निंग को लागू किया जा रहा है। बच्चे अब खेल-कूद, कला, संगीत, और योग जैसी गतिविधियों के माध्यम से सीख रहे हैं, जिससे उनकी शैक्षिक यात्रा और भी रोचक बन गई है।
नैतिक जिम्मेदारी
जिलाधिकारी ने कहा कि "बाल भिक्षावृत्ति और बाल मजदूरी को खत्म करना सिर्फ हमारी औपचारिक जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह नैतिक जिम्मेदारी भी है। हमें हर हाल में जिले को इन समस्याओं से मुक्त करना है, और इसके लिए प्रशासन का प्रयास निरंतर जारी रहेगा।"
निष्कर्ष
जिला प्रशासन की इस मुहीम के तहत, 57 बच्चों का स्कूल में दाखिला और उनके सर्वांगीण विकास की दिशा में उठाए गए कदमों से न केवल उनके जीवन में बदलाव आएंगे, बल्कि आने वाले दिनों में यह प्रयास अन्य जिलों के लिए एक मिसाल बनेगा। यह दृढ़ विश्वास होना चाहिए कि शिक्षा ही बच्चों के जीवन में एक नई रोशनी लाएगी।
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