5 फीसदी से नीचे लाये सहकारी बैंकों का एनपीए – डॉ. धन सिंह रावत

Aug 2, 2025 - 09:30
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5 फीसदी से नीचे लाये सहकारी बैंकों का एनपीए – डॉ. धन सिंह रावत
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देहरादून: हाल ही में, उत्तराखंड के सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने राज्य के सहकारी बैंकों में एनपीए (अनलेक्टेड प्रोफिट्स एसेट्स) को 5 फीसदी से नीचे लाने के लिए अधिकारियों को ठोस रणनीति विकसित करने के निर्देश दिए हैं। इस दिशा में तेजी लाने के लिए विभागीय अधिकारियों की एक उच्च स्तर की बैठक मियांवाला स्थित निबंधक कार्यालय में आयोजित की गई। बैठक में सभी 13 जनपदों के जिला सहायक निबंधक, सहकारी बैंक सचिव और महाप्रबंधक मौजूद थे।

एनपीए की समीक्षा और रणनीतिक दिशा-निर्देश

बैठक में डॉ. रावत ने सहकारी बैंकों की जनपदवार ग्रॉस एनपीए की समीक्षा की और सभी अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे हर संभव तरीके से एनपीए को 5% से कम करने के लिए समयबद्ध रणनीति तैयार करें। एनपीए को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदमों में बहुउद्देशीय समितियों का गठन, व्यापार योजना, ऑडिट और पैक्स कम्प्यूटरीकरण में तेजी लाना शामिल हैं।

अभिनव योजनाएं और सीमित कार्यप्रदर्शन

डॉ. रावत ने सहकारिता के संचालन में गति लाने के लिए अभिनव योजनाएं लाने के निर्देश दिए, जिनमें खासतौर पर निम्नलिखित बिंदु शामिल रहे:

  • ठेली-खोमचे व्यवसायियों को जोड़कर नए खाता खुलवाने की योजना, जिससे उन्हें प्रतिदिन के अनुसार व्यावसायिक क्रियाओं के लिए पैसे मिल सकें।
  • प्रदेश के 17,000 स्कूलों के खातों को जिला सहकारी बैंकों में खोले जाने के लिए प्रधानाचार्यों और शिक्षा अधिकारियों से समन्वय किया जाएगा।
  • प्रदेश के 25,000 ताम्र रोग (टीबी) मरीजों के लिए बैंक खाता खोलने की योजना।
  • तीन लाख डिग्री कॉलेज छात्रों को भी सहकारिता बैंकिंग से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा।

सहकारिता की भावी दिशा

बैठक में "सहकार मंथन" के तहत अपर निबंधक ईरा उप्रेती द्वारा प्रस्तुति दी गई और प्रादेशिक कोऑपरेटिव यूनियन के प्रबंध निदेशक मंगला त्रिपाठी ने गुजरात अध्ययन भ्रमण कार्यक्रम के बारे में बताया। इसके साथ ही, राज्य में सहकारिता के भावी रोडमैप पर भी चर्चा हुई।

कार्यप्रदर्शन का मूल्यांकन और सुधार

डॉ. रावत ने बैठक के अंत में कहा कि जो जिले सहकारी बैंक कर्मचारियों का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं है, उनका मूल्यांकन किया जाना चाहिए और यदि आवश्यक हो तो जबरन सेवानिवृत्ति जैसे विकल्पों पर विचार किया जाए। उनके अनुसार, विभिन्न सफल सहकारिता मॉडल, जैसे कि गुजरात, केरल और कर्नाटक का अध्ययन कर उन्हें उत्तराखंड में लागू करने पर ध्यान दिया जाएगा।

इस प्रकार, डॉ. धन सिंह रावत की यह बैठक सहकारी बैंकों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बन गई है। इसके साथ ही, उन्होंने सहकारी समितियों में योग्य प्रशिक्षित सचिवों की नियुक्ति को प्राथमिकता देने की भी बात कही।

इस बैठक में सचिव सहकारिता डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम, निबंधक सहकारिता डॉ. मेहरबान बिष्ट, अपर निबंधक ईरा उप्रेती, और अन्य जिला सहायक निबंधक उपस्थित रहे।

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