दो-दो शादी करने वाले सुरेश राठौर BJP से 6 साल के लिए निष्कासित, क्या राठौर पर लागू होगा यूसीसी?

Jun 29, 2025 - 00:30
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दो-दो शादी करने वाले सुरेश राठौर BJP से 6 साल के लिए निष्कासित, क्या राठौर पर लागू होगा यूसीसी?
दो-दो शादी करने वाले सुरेश राठौर BJP से 6 साल के लिए निष्कासित, क्या राठौर पर लागू होगा यूसीसी?

दो-दो शादी करने वाले सुरेश राठौर BJP से 6 साल के लिए निष्कासित, क्या राठौर पर लागू होगा यूसीसी?

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रैबार डेस्क: उत्तराखंड भाजपा ने ज्वालापुर से पूर्व विधायक सुरेश राठौर को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है। हाल ही में सुरेश राठौर की दो विवाहों की चर्चा ने राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया था। भाजपा ने इस मामले में उनके आचरण के कारण सीधा कदम उठाया है।

सुरेश राठौर का विवादास्पद कार्यकाल

सुरेश राठौर ने हाल ही में उर्मिला नाम की महिला के साथ एक प्रेस कांफ्रेंस में यह घोषणा की थी कि उन्होंने गंधर्व विवाह किया है। यह महिला खुद को एक्ट्रेस बताती है और राठौर को अपना पति मानती है। इस विवादास्पद स्थिति में राठौर की पहली पत्नी का भी जिक्र किया गया है, जिससे भारतीय जनता पार्टी को सांसदों के अनुशासन और पार्टी की छवि को लेकर कई सवाल उठने लगे थे।

भाजपा की कार्रवाई का कारण

पार्टी सूत्रों ने बताया कि राठौर द्वारा किए गए कुछ कार्य पार्टी के अनुशासन की धज्जियां उड़ाते हैं। जब संयोजक आदित्य कोठारी ने इस पर प्रतिक्रिया दी, तब उन्होंने कहा कि राठौर की गतिविधियां अनुशासनहीनता की परिभाषा में आती हैं। पहले से विद्यमान शादी के रहते हुए दूसरी शादी करना भाजपा के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है। पार्टी के अन्य नेताओं ने भी महसूस किया कि इस प्रकार के व्यवहार से पार्टी की छवि प्रभावित हो रही है।

यूसीसी से जुड़ी धारणाएं

इस समय उत्तराखंड भाजपा एक महत्वपूर्ण कानून, यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) को लागू करने की प्रक्रिया में है। यह कानून एक पत्नी की जीनित रहते हुए दूसरी शादी पर रोक लगाता है। अगर सुरेश राठौर पर इस कानून का उल्लंघन होता है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पार्टी उनसे आंतरिक कारणों से आगे कोई कार्रवाई करती है। ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा को अपने राजनीतिक लाभ को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाना पड़ा।

सुरेश राठौर का भविष्य

देखना होगा कि क्या राठौर पर यूसीसी का लागू होना, केवल विचारों का मामला है, या फिर यह मामला courts तक पहुंच जाएगा। सुरेश राठौर की स्थिति ने भाजपा के लिए एक चुनौती पेश की है और यह स्पष्ट नहीं है कि पार्टी इस समस्या को कैसे संभालेगी। जब बात पार्टी के नियमों और अनुशासन की आती है, तो सुरेश राठौर की गलतियों ने निश्चित रूप से भाजपा को और अधिक कठोर कदम उठाने पर मजबूर किया।

निष्कर्ष

सुरेश राठौर का मामला विभिन्न पहलुओं से गंभीर है। दो विवाहों की बात पार्टी के लिए न केवल आंतरिक और राजनीतिक समस्याएँ खड़ी करती है, बल्कि उत्तराखंड में यूसीसी की उद्देश्यों को भी संदेहास्पद बना देती है। जनहित में अच्छी राजनीतिज्ञी से जनता की विश्वास को बनाना बेहद जरूरी है। अब यह देखने वाली बात है कि क्या राठौर पर कोई कानूनी कार्यवाही की जाती है और भाजपा इस मामले में आगे कैसे बढ़ती है।

टीम asarkari

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