बाढ़ से निपटने के लिए जनपद पूरी तरह तैयार, टेबल टॉप एक्सरसाइज में जनपदों की तैयारियों की समीक्षा

बाढ़ से निपटने के लिए जनपद पूरी तरह तैयार, टेबल टॉप एक्सरसाइज में जनपदों की तैयारियों की समीक्षा
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देहरादून। माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के तहत राज्य के मैदानी क्षेत्रों में बाढ़ का प्रभावी तरीके से सामना करने के लिए 30 जून को प्रस्तावित मॉक ड्रिल की तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया। यह मॉक ड्रिल राजकीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के तत्त्वावधान में आयोजित की जा रही है, जिसमें विभिन्न जनपदों की तैयारियों का संपूर्ण मूल्यांकन किया जाएगा।
मॉक ड्रिल की तैयारी और महत्व
शनिवार को राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र में आयोजित टेबल टॉप एक्सरसाइज के माध्यम से मॉक ड्रिल की तैयारियों की समीक्षा की गई। आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास के सचिव, श्री विनोद कुमार सुमन ने बताया कि, "इस वर्ष मौसम विभाग ने सामान्य से अधिक वर्षा की भविष्यवाणी की है। इसलिए, बाढ़ और जलभराव की स्थितियों से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए यह ड्रिल अत्यंत आवश्यक है।"
मॉक ड्रिल का उद्देश्य विभिन्न रेखीय विभागों के बीच समन्वय को बेहतर बनाना, उपकरणों और संसाधनों का सही उपयोग करना और आपदा के समय राहत और बचाव कार्यों को संचालित करना है।
चर्चाएँ और तैयारियां
इस दौरान, मॉक ड्रिल में भाग लेने वाले अधिकारियों ने विभिन्न परिदृश्यों पर विस्तृत चर्चा की। इनमें हरिद्वार में कांवड़ यात्रा के समय भगदड़ और नदी में डूबने के मामले, अति वर्षा के कारण बाणगंगा में जलभराव जैसे मुद्दे शामिल हैं। साथ ही, विभिन्न जनपदों में भी जलभराव की स्थितियों पर चर्चा की गई।
सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा कि "आपदा के समय सबसे जरूरी तैयारी होती है। बेहतर तैयारी होने पर आपदाओं का सामना करने में ज्यादा सक्षम होंगे।"
आईआरएस प्रणाली का महत्व और प्रशिक्षण
उत्तराखंड में 09 जून को आईआरएस यानी घटना प्रतिक्रिया प्रणाली की अधिसूचना जारी की गई है। इस प्रणाली के माध्यम से सभी विभागों में दायित्व और जिम्मेदारियाँ स्पष्ट कर दी गई हैं। इसके अंतर्गत प्रशिक्षिण कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।
टास्क फोर्स का गठन और प्रभावी प्रतिक्रिया
सचिव विनोद कुमार ने मानसून के दौरान विभिन्न जनपदों में टास्क फोर्स गठित करने के निर्देश दिए हैं। यह टास्क फोर्स प्रभावित लोगों को त्वरित सहायता पहुँचाने, क्षति का आकलन करने और पुनर्निर्माण कार्यों को सहायता प्रदान करने का कार्य करेगी।
उपाय औरAlert सिस्टम का विकास
आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास के सचिव ने यह भी बताया कि रिस्पांस टाइम को बेहतर बनाना अत्यंत आवश्यक है। "वर्तमान में रिस्पांस टाइम 12 मिनट है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि बाढ़ की सूचना समय पर लोगों तक पहुंचे," उन्होंने कहा।
निष्कर्ष
इस टेबल टॉप एक्सरसाइज से यह स्पष्ट होता है कि उत्तराखंड सरकार बाढ़ प्रबंधन को लेकर पूरी तरह सचेत है। निरंतर बेहतर उपाय और तैयारियों के जरिए राज्य आपदा के समय जन जीवन को संरक्षित रख सकेगा। बाढ़ से निपटने के लिए उठाए जा रहे कदम निश्चित ही प्रशंसा के पात्र हैं।
जनपदों की तैयारियों का मूल्यांकन और अगामी चुनौतियों के प्रति सचेत रहना हम सभी की जिम्मेदारी है।
टीम asarkari के द्वारा, यह लेख आपके लिए तैयार किया गया है।
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