रिस्पना और बिंदाल नदी कभी भी बरपा सकती हैं कहर

Jun 27, 2025 - 00:30
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रिस्पना और बिंदाल नदी कभी भी बरपा सकती हैं कहर
रिस्पना और बिंदाल नदी कभी भी बरपा सकती हैं कहर

रिस्पना और बिंदाल नदी कभी भी बरपा सकती हैं कहर

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देहरादून। देहरादून में वर्षाकाल के दौरान रिस्पना और बिंदाल नदी कभी भी कहर बरपा सकती हैं। इन नदियों के किनारे बसी बस्तियां खतरे के साए में हैं। भारी बरसात के कारण ये नदियां कब उफान पर आ जाएं, यह कहना बहुत मुश्किल है। इसके अतिरिक्त, शहर के ज्यादातर नालों पर अतिक्रमण और अवैध कब्जे भी समाधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। नेताओं ने वोटबैंक की खातिर इन बस्तियों को बसाने और कब्जा कराने में मदद की है, जबकि सरकारी अफसर इन्हें हटाने की इच्छाशक्ति नहीं दिखा पाते। ऐसे में, नदी के उफान के कारण कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।

नदियों का खतरनाक स्वरूप

रिस्पना और बिंदाल नदी के दोनों तरफ बस्तियां बस जाने से ये नदियां संकरी हो गई हैं। यदि नदी में उफान आता है, तो इन नदियों के किनारे बसी बस्तियों में रहने वाले लोग खतरे में पड़ सकते हैं। वर्षा के मौसम में तेज बरसात होने पर बिंदाल और रिस्पना नदी अक्सर उफान पर आ जाती हैं, जिससे घरों में जलभराव हो जाता है। इसके अलावा, भूकटाव की समस्या, विद्युत पोल का उखड़ना और पुश्तों का ढहना आम बात है।

स्थानीय बस्तियों की स्थिति

रिस्पना नदी किनारे बसी बस्तियों में काठ बंगला, वीर गब्बर सिंह, बाडीगार्ड, राजीव नगर, आर्य नगर, राजेश रावत कॉलोनी, महात्मा गांधी, भगत सिंह कॉलोनी, दीपक नगर, मोथरोवाला और गुरु तेग बहादुर कॉलोनी शामिल हैं। बिंदाल नदी के किनारे की बस्तियों में विजय कालोनी, चुक्खूवाला, जोहडी, कांवली रोड, खुडबुडा और पटेलनगर की चंदशेखर बस्ती शामिल हैं। इनमें सुरक्षा के चिंताओं के बीच रहने वाले लोग अपनी तरह से तैयारी कर रहे हैं।

प्रशासनिक कदम और लोगों की सजगता

प्रशासन ने कई बार इन बस्तियों को सुरक्षित स्थानों पर हटने का निर्देश दिया है, लेकिन अधिकांश लोग मानने को तैयार नहीं हैं। वर्षा के मौसम में इन लोगों को रात में जागकर बिताना पड़ता है, क्योंकि बाढ़ का खतरा बना रहता है। रिस्पना नदी के किनारे कुल 27 बस्तियां बाढ़ संभावित क्षेत्र में आती हैं, जैसे चीड़ोंवाली, कंडोली और दीपनगर। इन बस्तियों में अतिक्रमण के कारण नदी की चौड़ाई में कटौती हो गई है। इस कारण बाढ़ की आशंका अधिक बढ़ जाती है।

निष्कर्ष

यह स्थिति केवल देहरादून तक सीमित नहीं है, बल्कि अन्य जगहों पर भी जलवायु परिवर्तन की समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं। बाढ़ से सुरक्षा के लिए स्थानीय प्रशासन को अपने कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि लोगों को सुरक्षित रखा जा सके। नदी किनारे बसे लोगों को भी अधिक जागरूक होना होगा। यह न केवल उनकी स्वयं की सुरक्षा के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए आवश्यक है।

अंत में, इन नदियों के आसपास बस रही बस्तियों की सुरक्षा के लिए जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। प्रशासन और स्थानीय लोगों को मिलकर इस खतरे का सामना करना होगा।

इसलिए, आवश्यकीय उपायों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए ताकि ऐसी आपदाओं का सामना कर सकें।

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