जलवायु क्षेत्र में भारत की ग्यारह वर्षों की प्रगति

जलवायु क्षेत्र में भारत की ग्यारह वर्षों की प्रगति
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लेखिका: साक्षी शर्मा, प्रीति गुप्ता, टीम asarkari
भारत ने जलवायु क्षेत्र में पिछले ग्यारह वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति की है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव के अनुसार, मानव द्वारा उत्पन्न जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पूरी दुनिया में महसूस किए जा रहे हैं। जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की छठी आकलन रिपोर्ट के अनुसार, 2011-2020 के दशक में पृथ्वी का तापमान, पूर्व-औद्योगिक काल (1850-1900) की तुलना में 1.1 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है। ऐसे में भारत की जलवायु योजनाएँ और उपाय विश्व समुदाय के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुके हैं।
भारत का वैदिक दृष्टिकोण
भारत के प्राचीन वैदिक सिद्धांत 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' का ध्यान रखते हुए, जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने में देश की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। जलवायु संकट को लेकर भारत का दृष्टिकोण न केवल पारंपरिक बल्कि नवाचारी भी है, जो सभी के लिए फायदेमंद है।
प्रधानमंत्री मोदी का नेतृत्व
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद जलवायु कार्रवाई के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रकट की। 'जलवायु परिवर्तन' को पर्यावरण मंत्रालय की प्राथमिकता में शामिल किया गया, जिससे इसका महत्व और बढ़ गया। 2015 में भारत ने पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर किए और राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) को पूरा किया। इसने भारत की मजबूत जलवायु प्रतिबद्धता को दर्शाया।
नवीकरणीय ऊर्जा में बढ़ोतरी
भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भी व्यापक प्रगति की है। 2014 के 76 गीगावाट स्थापित क्षमता से, यह मार्च 2025 तक 220 गीगावाट लक्ष्य तक पहुंचने की संभावना है। सौर ऊर्जा में भारत का तीसरा स्थान और पवन ऊर्जा में चौथा स्थान प्राप्त करना इस दिशा में एक बड़े कदम को दर्शाता है।
सामाजिक न्याय के साथ जलवायु कार्रवाई
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना और पीएम-कुसुम योजना जैसे कार्यक्रमों ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को सामाजिक न्याय के दृष्टिकोण से जोड़कर देखा है। ये योजनाएँ जैसे महिलाओं को स्वच्छ ईंधन मुहैया कराना और किसानों को सौर ऊर्जा समाधानों से सशक्त बनाना, जलवायु संकट से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
भविष्य की दिशा
भारत ने जलवायु परिवर्तन को कंट्रोल करने के उद्देश्यों को आगे बढ़ाते हुए अनेक योजनाओं की शुरुआत की है, जैसे कि मिशन लाइफ, जो हर भारतीय को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ सामूहिक लड़ाई में शामिल करता है। 2023 में विकसित भारत के विज़न के अंतर्गत, भारत ने आत्मनिर्भरता और स्थायी विकास की दिशा में बड़े कदम उठाए हैं।
निष्कर्ष
उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट होता है कि भारत ने जलवायु क्षेत्र में ग्यारह वर्षों में जो प्रगति की है, वह न केवल देश के लिए बल्कि वैश्विक स्तर पर एक उदाहरण है। भारत की जलवायु कार्रवाई वैश्विक समुदाय के लिए एक प्रेरणा बन गई है और इसके सफल क्रियान्वयन से अन्य देश भी सीख सकते हैं। जलवायु परिवर्तन के खिलाफ की गई यह यात्रा, एक सुनहरे भविष्य की ओर ले जाने में सहायक साबित होगी।
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