श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एण्ड हेल्थ साइंसेज़ के नेत्र रोग विभाग द्वारा एक दिवसीय सीएमई का आयोजन, श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में विशेषज्ञ बोले रूमेटाॅइड रोगी काॅर्नियल अल्सर से आंखों को कैसे बचाए

श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एण्ड हेल्थ साइंसेज़ के नेत्र रोग विभाग द्वारा एक दिवसीय सीएमई का आयोजन
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देहरादून। श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज, श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के नेत्र रोग विभाग द्वारा रविवार को एक दिवसीय उच्चस्तरीय निरंतर चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम (सी.एम.ई.) 'काॅर्निया 360° 2.0' का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य रूमेटाइड आर्थराइटिस से पीड़ित रोगियों में होने वाली काॅर्निया संबंधी जटिलताओं पर जनजागरुकता फैलाना और बीमारी की रोकथाम के उपायों पर प्रकाश डालना था।
उपस्थित विशेषज्ञों की विशेष राय
कार्यक्रम में उत्तराखण्ड स्टेट ऑप्थलमोलॉजिकल सोसाइटी (यू.के.एस.ओ.एस.) के तत्वावधान में देश के विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों से आए नेत्र रोग विशेषज्ञों ने शिरकत की। इन विशेषज्ञों ने रूमेटाइड रोगियों की आंखों में होने वाली जटिलताओं, विशेषकर काॅर्निया की गंभीर बीमारियों के निदान और उपचार पर विस्तार से जानकारी साझा की। वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ. देवेश शर्मा ने कहा कि रूमेटाइड आर्थराइटिस से ग्रस्त रोगियों में कॉर्नियल अल्सर होने की संभावना अधिक होती है, जिससे दृष्टि को खोने का खतरा बढ़ जाता है।
कार्यक्रम का महत्व
इस प्रकार के कार्यक्रम ने असाधारण महत्त्व रखता है क्योंकि यह चिकित्सकों को नवीनतम जानकारी से अवगत कराता है और नेत्र स्वास्थ्य की प्रगति में सहायक होता है। कार्यक्रम में भाग लेते हुए, चिकित्सकों ने आमजन को यह अपील की कि वे नियमित रूप से नेत्र परीक्षण कराते रहें और आंखों में जलन, लालिमा या दृष्टि धुंधली होने पर तुरंत विशेषज्ञ की सलाह लें।
पीजी प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता
कार्यक्रम के दौरान एक पीजी प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के डॉक्टर तन्वी और डॉक्टर श्रेष्ठा ने अव्वल स्थान प्राप्त किया। इस प्रतियोगिता में 'हिमालयन इंस्टीट्यूट' और 'एम्स ऋषिकेश' के छात्रों ने भी प्रतिभाग किया, जो नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में उनकी रुचि और मेहनत को दर्शाता है।
विशेषज्ञों के साथ संवाद
कार्यक्रम में इंस्टिट्यूट के प्रमुख डॉक्टरों ने कहा कि सूखी आंखों की समस्या रूमेटाइड आर्थराइटिस के रोगियों में आम है, जिससे काॅर्निया की सुरक्षा कम होती है। प्रो. डॉ. तरन्नुम शकील ने संक्रमण के नैदानिक पहलुओं पर जोर दिया और सभी उपस्थित चिकित्सकों को इस दिशा में काम करने के लिए प्रेरित किया।
समापन टिप्पणियाँ
कार्यक्रम का समापन प्रो. डॉ. तरन्नुम शकील के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने सभी प्रतिभागियों, आयोजन समिति और वक्ताओं का आभार व्यक्त किया। यह सम्मेलन न केवल चिकित्सकीय ज्ञान के आदान-प्रदान का मंच बना, बल्कि रूमेटाइड आर्थराइटिस जैसे गंभीर समस्याओं के प्रति जागरूकता भी बढ़ाई।
कार्यक्रम ने आंखों के स्वास्थ्य को प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान किया, जिसमें सभी ने चिकित्सकीय प्रगतियों और भावी अनुसंधान पर चर्चा की।
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