अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी की 135वीं जयंती पर देश का नमन

Oct 27, 2025 - 09:30
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अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी की 135वीं जयंती पर देश का नमन
  • सांप्रदायिक सद्भाव के लिए बलिदान देने वाले क्रांतिकारी की शहादत को याद किया गया.

कानपुर: आज देश ने सांप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी की 135वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। स्वतंत्रता संग्राम के नायक, निडर पत्रकार और कुशल राजनीतिज्ञ गणेश शंकर विद्यार्थी ने 25 मार्च 1931 को कानपुर के सांप्रदायिक दंगों में शांति स्थापित करने के प्रयास में अपने जीवन का बलिदान दे दिया। उनकी शहादत आज भी देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

महात्मा गांधी ने उनकी शहादत पर कहा था, “विद्यार्थी जी एक बहादुर और निर्भीक कांग्रेस कार्यकर्ता थे, जिन्होंने सांप्रदायिक सद्भाव के लिए अपने प्राण न्योछावर किए। मैं चाहता हूं कि मुझे भी ऐसी मृत्यु प्राप्त हो। उन्होंने देशवासियों को एकता का रास्ता दिखाया, जो देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए अपनाना होगा।”

इसी तरह, पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “गणेश शंकर विद्यार्थी एक बहादुर की तरह शहीद हुए। उनकी शहादत ने वह सबक दिया, जो शायद वे लंबे समय तक जीवित रहकर भी नहीं दे सकते थे। उनकी शहादत से भारत ने एक चमकता सितारा खो दिया।”

सांप्रदायिक दंगों में शहादत

1931 में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की शहादत के बाद देश में क्रांति की लहर दौड़ रही थी। अंग्रेजी साम्राज्यवाद ने इस विद्रोह को दबाने के लिए सांप्रदायिक दंगे भड़काए। 25 मार्च 1931 को कानपुर भी दंगों की चपेट में आ गया। उस समय उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे गणेश शंकर विद्यार्थी ने दंगों की आग में झुलस रहे शहर में शांति स्थापित करने का बीड़ा उठाया।

नंगे पांव और नंगे सिर पटकापुर और बंगाली मोहल्ले में पहुंचे विद्यार्थी जी ने वहां जल रहे लोगों को बचाने का प्रयास किया। उन्होंने कई हिंदुओं और मुसलमानों को दंगाइयों के चंगुल से बचाया, लेकिन इस दौरान कट्टरपंथियों ने उन पर हमला कर दिया। सांप्रदायिक सद्भाव के लिए लड़ते हुए वे शहीद हो गए। उनकी शहादत ने उन्हें देश का पहला सेल्यूलर हीरो बना दिया।

आज भी प्रासंगिक है उनका बलिदान

स्वतंत्रता आंदोलन यादगार समिति के अध्यक्ष और सिनेमेटोग्राफर प्रशांत सी. बाजपेयी ने कहा, “गणेश शंकर विद्यार्थी का बलिदान हमें सिखाता है कि सांप्रदायिकता का जहर फैलाने वाली शक्तियों से हमें एकजुट होकर लड़ना होगा। उनकी शहादत राष्ट्रीय एकता और धर्मनिरपेक्षता की मिसाल है।”

उन्होंने आगे कहा, “यह विडंबना है कि आज भी कुछ ताकतें सांप्रदायिकता का जहर फैलाकर समाज को बांटने का प्रयास कर रही हैं। विद्यार्थी जी का जीवन और बलिदान हमें एकता और भाईचारे का संदेश देता है।”

नमन और प्रेरणा

गणेश शंकर विद्यार्थी की 135वीं जयंती पर देश भर में विभिन्न संगठनों और नागरिकों ने उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके द्वारा स्थापित मूल्यों को अपनाने और सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने का संकल्प लिया गया।

प्रशांत सी. बाजपेयी, अध्यक्ष, स्वतंत्रता आंदोलन यादगार समिति, और पुत्र स्व. शशि भूषण (पद्म भूषण, 2006), संसद सदस्य (4th और 5th लोकसभा)

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