कांवड़ यात्रा के मद्देनजर नाम पट की अनिवार्यता पर पुनर्विचार करे धामी सरकार-राजीव महर्षि, मीडिया प्रभारी, प्रदेश कांग्रेस

Jul 4, 2025 - 09:30
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कांवड़ यात्रा के मद्देनजर नाम पट की अनिवार्यता पर पुनर्विचार करे धामी सरकार-राजीव महर्षि, मीडिया प्रभारी, प्रदेश कांग्रेस
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देहरादून: उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि ने कांवड़ यात्रा के मद्देनजर हाल ही में पारित किए गए नाम पट की अनिवार्यता के आदेश पर पुनर्विचार की मांग की है। उन्होंने इस तुगलकी फरमान को तुरंत वापस लेने की जरूरत बताई है। महर्षि ने अपने बयान में कहा कि यदि किसी व्यवसायी से नाम बताने का आदेश नहीं आता तो यह उनकी निजी स्वतंत्रता का उल्लंघन है।

समाज में विभाजन का खतरा

राजीव महर्षि ने स्पष्ट किया कि कांवड़ यात्रा जैसी पवित्र और श्रद्धेय यात्रा के मार्ग पर इस प्रकार के आदेश देना गलत है। यह आदेश न केवल व्यापारियों पर दबाव डालता है, बल्कि समाज में भी विभाजन का कारण बन रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह आदेश समझ से परे है और समाज की समरसता को प्रभावित कर सकता है।

राजनीतिक दावे और जनहित

महर्षि ने कहा कि पिछले कुछ समय से विभिन्न छोटे-बड़े नेताओं के बयान सामने आए हैं, जिनमें एक समुदाय विशेष का आर्थिक बहिष्कार की बात की गई है। उनका सवाल है कि आखिर सरकार को नाम जानने का क्या उद्देश्य है? क्या यह नियम जम्मू-कश्मीर या उत्तर पूर्व में भी लागू किया जाएगा? इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता ने भाजपा की मंशा को सवालिया निशान पर रखा।

बुनियादी मुद्दों से ध्यान भटकाना

महर्षि ने यह भी कहा कि उत्तराखंड इस समय गंभीर परिस्थिति से गुजर रहा है। सड़क हादसों में वृद्धि हो रही है और कई मार्ग अवरुद्ध हैं। ऐसे में सरकार को पीड़ितों की मदद करने के बजाय इस प्रकार के गैर जरूरी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना गलत है। उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता आपदा पीड़ितों को राहत पहुंचाना होना चाहिए।

समाज की आवाज़

महर्षि ने पुनः सरकार से अपील की है कि वह इस तुगलकी फरमान को शीघ्र वापस ले। उन्हें यह डर है कि इससे समाज में और अधिक तनाव पैदा हो सकता है। कांग्रेस का मानना है कि राजनीतिक लाभ के लिए समाज के सामंजस्य को खतरे में डालना गलत है।

राजीव महर्षि ने अंत में कहा कि सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि यदि नाम बताने के नियम के कारण किसी विशेष समुदाय के व्यापार को क्षति होती है, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? वे यह भी पूछते हैं कि बुनियादी मुद्दों से ध्यान भटकाकर देश को फालतू विवादों में क्यों धकेला जा रहा है?

इस प्रकार, आगामी कांवड़ यात्रा के समय जब श्रद्धालुओं की साक्षी में दिक्कतें आ सकती हैं, तो इस आदेश के प्रभाव को समझना अत्यंत आवश्यक है। उत्तराखंड का राज्य सरकार से निवेदन है कि वे इस आदेश पर गंभीरता से विचार करें और उचित कदम उठाएं।

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