पिता के बाद बेटे को नहीं मिली अनुकंपा नियुक्ति, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- यह अधिकार नहीं…

पिता के बाद बेटे को नहीं मिली अनुकंपा नियुक्ति, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- यह अधिकार नहीं…
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नई दिल्लीः भारत में एक आम राय है कि यदि सरकारी नौकरी करने वाले व्यक्ति की सर्विस के दौरान मौत हो जाए तो परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति मिलती है। लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। इस फैसले के तहत एक युवक को उसके पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए याचिका पर न्यायालय ने निर्णय दिया कि इसे अधिकार के रूप में नहीं माना जा सकता।
मामले की पृष्ठभूमि
युवक, रवि कुमार जेफ, जिनके पिता सेंट्रल एक्साइज विभाग में प्रधान आयुक्त थे, ने 2015 में पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति की मांग की। रवि ने CGST और सेंट्रल एक्साइज (जयपुर जोन) राजस्थान में नियुक्ति के लिए आवेदन किया था। उनके आवेदन को विभागीय समिति ने खारिज कर दिया, जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय और सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्युनल का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां से भी उन्हें निराशा मिली।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने रवि की याचिका को खारिज करते हुए कहा, "अनुकंपा नियुक्ति को अधिकार के रूप में नहीं देखा जा सकता।" न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां और न्यायमूर्ति मनमोहन ने ये भी कहा कि अनुकंपा नियुक्ति आवेदन को उन लोगों के लिए प्राथमिकता दी जानी चाहिए जो आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहे हैं।
रवि कुमार की स्थिति
रवि कुमार की अनुकंपा नियुक्ति की मांग के लिए मुख्य समस्या उनकी आर्थिक स्थिति है। उनके परिवार को पेंशन के रूप में 85 हजार रुपये प्रति माह मिलते हैं, और उनके पिता ने दो बंगले और 33 एकड़ जमीन छोडी है। विभाग की ओर से यह तर्क दिया गया कि परिवार की आवश्यकताओं के लिए यह सब कुछ पर्याप्त है। इसके अलावा, रवि के भाई-बहन भी बेरोजगार हैं लेकिन उनके पास संपत्ति की प्रचुरता है।
समाज में यह विषय चर्चा का कारण
इस फैसले ने समाज में एक महत्वपूर्ण चर्चा को जन्म दिया है, जहां कई लोगों का मानना है कि सरकार को आर्थिक स्थिति के आधार पर निर्णय लेना चाहिए। कुछ का मानना है कि अनुकंपा नियुक्ति एक प्रकार की सरकारी सहायता होनी चाहिए, विशेषकर तब जब परिवार का मुखिया निधन हो गया हो।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय इस बात का स्पष्ट संकेत है कि अनुकंपा नियुक्ति कोई अधिकार नहीं है, बल्कि यह एक विशेष परिस्थिति में दी जाने वाली सहायता है। समाज में इसे लेकर विभिन्न विचार हैं और यह देखना होगा कि कैसे इस मुद्दे पर आगे चर्चा होती है।
इस प्रकार, न्याय प्रणाली ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि सरकारी परेशानियों का सामना करने वाले परिवारों की मदद करने के लिए अनुकंपा नियुक्ति की प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता जरूरी है।
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लेख को लिखा है: साक्षी मेहरा, प्रिया देवी, और निधि शर्मा, टीम asarkari
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