श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की बड़ी उपलब्धि : माइक्रोसर्जरी से बचाया गया डायबिटीज़ से गल रहा मरीज़ का पैर, मिला नया जीवन

Nov 14, 2025 - 09:30
 124  5.9k
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की बड़ी उपलब्धि : माइक्रोसर्जरी से बचाया गया डायबिटीज़ से गल रहा मरीज़ का पैर, मिला नया जीवन

देहरादून। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में एक मरीज का माइक्रोसर्जरी द्वारा सफल उपचार किया गया। ज्वालापुर, हरिद्वार निवासी मोहम्मद अफजल को अगस्त माह में अस्पताल में भर्ती किया गया था। डायबिटीज के कारण उनके दाएँ पैर की त्वचा पूरी तरह नष्ट हो चुकी थी और अंदर की हड्डी गलनी शुरू हो गई थी। पैर को काटने से बचाने के उद्देश्य से उन्हें प्लास्टिक सर्जरी विभाग में प्रोफेसर डॉ. भावना प्रभाकर के निर्देशन में भर्ती किया गया।

प्रारंभ में घाव की सफाई के लिए डिब्राइडमेंट सर्जरी की गई। इसके पश्चात् कुछ दिनों बाद उस हिस्से पर माइक्रोवैस्क्युलर फ्री-फ्लैप सर्जरी की गई, जिसमें सटीकता से खून की नसों को जोड़कर स्वस्थ भाग से लिए गए मोटे ऊतक (टिश्यू) को प्रभावित स्थान पर प्रत्यारोपित किया गया। यह अत्याधुनिक तकनीक अत्यंत सूक्ष्म स्तर पर माइक्रोस्कोप की सहायता से की जाती है। यदि उस स्थान पर केवल पतला स्किन ग्राफ्ट लगाया जाता, तो मरीज को चलने में कठिनाई होती और घाव बार-बार बढ़ने की संभावना रहती। लेकिन माइक्रोवैस्क्युलर तकनीक से की गई इस सर्जरी ने न केवल मरीज का पैर बचाया, बल्कि उसे नया जीवन भी प्रदान किया।

डॉ. भावना प्रभाकर ने बताया कि माइक्रोसर्जरी प्लास्टिक एवं रीकंस्ट्रक्टिव सर्जरी की सबसे उन्नत विधियों में से एक है। इसमें ब्लड वेसल्स (आट्रीज़ एवं वेंस) और नर्व्स को 1 मिमी से भी पतले स्तर पर जोड़ा जाता है। यह तकनीक गंभीर चोटों, जलने, कैंसर सर्जरी के बाद हुए ऊतक नुकसान, और अंगों के पुनर्निर्माण में अत्यंत उपयोगी है। उन्होंने कहा कि श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में माइक्रोवैस्क्युलर सर्जरी से संबंधित सभी अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। इस तकनीक के माध्यम से न केवल अंगों को संरक्षित किया जा सकता है, बल्कि मरीजों को उनके सामान्य जीवन में वापस लौटने में भी सहायता मिलती है।

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0