उत्तरकाशी आपदा: सैलाब में ढहा मंदिर, मलबे से सुरक्षित बरामद हुई कुलदेवी मां राजराजेश्वरी की प्रतिमा

Aug 18, 2025 - 00:30
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उत्तरकाशी आपदा: सैलाब में ढहा मंदिर, मलबे से सुरक्षित बरामद हुई कुलदेवी मां राजराजेश्वरी की प्रतिमा
उत्तरकाशी आपदा: सैलाब में ढहा मंदिर, मलबे से सुरक्षित बरामद हुई कुलदेवी मां राजराजेश्वरी की प्रतिमा

उत्तरकाशी आपदा: सैलाब में ढहा मंदिर, मलबे से सुरक्षित बरामद हुई कुलदेवी मां राजराजेश्वरी की प्रतिमा

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लंबी खोदाई के बाद, उत्तरकाशी के धराली क्षेत्र में एक ऐसा अद्भुत चमत्कार सामने आया है जिसने सभी को चकित कर दिया है। यहां की आपदा के दौरान, कुलदेवी मां राजराजेश्वरी की चांदी की प्रतिमा, उनकी कटार और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां मलबे से सुरक्षित बरामद की गई हैं। घटना ने धार्मिक आस्था और स्थानीय संस्कृति को एक नया उजाला दिया है।

आपदा का संकट

पांच अगस्त को धराली में आए सैलाब ने गांव गलाणथोक में कई पुराने भवनों को जमींदोज कर दिया था, जिसमें कुलदेवी राजराजेश्वरी का मंदिर भी शामिल था। इस प्राकृतिक आपदा ने ग्रामीणों में भय पैदा कर दिया था और ऐसी स्थिति थी कि किसी के लिए भी यह सोचना कठिन था कि कभी ये सभी मूर्तियां मिल पाएंगी।

चमत्कार: सुरक्षित निकली कुलदेवी की प्रतिमा

बताया गया है कि आपदा के 12 दिन बाद, जब खोज अभियान चल रहा था, तब खोदाई में करीब पांच से सात फीट नीचे पहले एक पेड़ मिला। जब उसे हटाया गया, तो देखा गया कि कुलदेवी मां राजराजेश्वरी की चांदी की प्रतिमा सुरक्षित है। इसके अलावा, वहां पांच पांडवों की मूर्तियां, शिव की पंचमुखी प्रतिमा और शालिग्राम भी बरामद हुए।

भावुक ग्रामीणों की प्रार्थना

जब सर्च अभियान में मिली इस अद्भुत जानकारी की सूचना ग्रामीणों को दी गई, तो वे तुरंत वहां पहुंचे। मां के दर्शन करते ही ग्रामीण भावुक हो उठे। उन्होंने प्रार्थना की कि मलबे में दबे हुए लोगों का शीघ्र पता चल सके। गलाणथोक के निवासी राजेश पंवार ने इस घटना को पहले की घटनाओं से जोड़ा और कहा कि यह पहले भी संभव हुआ था जब मां की मूर्ति किसी आपदा में सुरक्षित मिली थी।

समाज और संस्कृति पर प्रभाव

ग्रामीणों के अनुसार, कुलदेवी की प्रतिमा का सुरक्षित मिलना संपूर्ण गांव की रक्षा का शुभ संकेत माना जा रहा है। इसे एक नये विश्वास और धार्मिक आस्था से जोड़ा जा रहा है, जो लोगों के दिलों में नैतिक साहस प्रदान कर रहा है। आपदा के इस दौरान ग्रामीणों का एकजुट होना और एक-दूसरे की मदद करना न केवल महत्त्वपूर्ण था, बल्कि इसे स्थानीय संस्कृति का प्रतीक भी माना जा रहा है।

निष्कर्ष

उत्तरकाशी की इस आपदा ने जहां एक ओर मानव जीवन को संकट में डाला, वहीं दूसरी ओर धर्म और आस्था की एक नई कहानी भी लिखी है। कुलदेवी मां राजराजेश्वरी की सुरक्षित मिली प्रतिमा ने न केवल ग्रामीणों को आशा दी है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि विश्वास और आस्था के साथ-साथ प्राकृतिक आपदाओं का मुंह तोड़ जवाब भी दिया जा सकता है।

अंत में, इस अद्भुत घटना ने हमें यह सिखाया है कि ईश्वर में आस्था हमेशा बनी रहनी चाहिए, चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो। देवभूमि में इस प्रकार के चमत्कार हमें याद दिलाते हैं कि हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए।

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