उरई में श्रीमती संध्या पुरवार के आवास पर ‘श्री मोहन दीर्घा’ लगाई गई : दुर्लभ शंख, राजपूताना शैली, उड़िया शैली व बुन्देली कलम की पेंटिंग की गई प्रदर्शित

उरई में श्रीमती संध्या पुरवार के आवास पर ‘श्री मोहन दीर्घा’ लगाई गई
उरई (जालौन) - आज के समय में जब संस्कृति और कला को मान्यता प्राप्त करने की अत्यंत आवश्यकता है, तब उरई के चूड़ी वाली गली स्थित श्रीमती संध्या पुरवार के निज निवास पर ‘श्री मोहन दीर्घा’ का आयोजन एक अद्वितीय पहल के रूप में सामने आया है। इस दीर्घा का उद्घाटन श्री विष्णु अवतारी भगवान श्री कृष्ण के प्राकाट्य उत्सव के आधार पर किया गया। यह आयोजन इन्टेक उरई अध्याय, प्रांतीय कला धरोहर समिति संस्कार भारती और भारत विकास परिषद स्वामी विवेकानंद शाखा उरई के संयुक्त तत्वाधान में हुआ।
दीर्घा का अद्भुत शुभारंभ
इस भव्य कार्यक्रम की शुरुआत डॉ प्रशांत निरंजन ने की, जो कि जालौन के राजकीय मेडिकल कॉलेज उरई के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक भी हैं। उन्होंने कार्यक्रम के आरंभ में दीप जलाकर और पुष्प अर्पित कर भगवान श्री गणेश जी की आराधना की। इस अवसर पर उन्हें यह देखकर आनंद प्राप्त हुआ कि भगवान श्री कृष्ण को विभिन्न स्वरूपों में दर्शाया गया है, जैसे श्री विट्ठल स्वरूप, श्रीनाथजी स्वरूप एवं श्री सांवरिया सेठ स्वरूप।
प्रतिष्ठित कलाकृतियों का प्रदर्शन
इस दीर्घा में भगवान श्री कृष्ण से संबंधित भारत सरकार द्वारा जारी सभी डाक टिकटों का प्रदर्शन किया गया। इसके अलावा इस्लामिक देश इंडोनेशिया द्वारा 2020 से 2025 तक श्री कृष्ण से जुड़े डाक टिकट भी प्रदर्शित किए गए। 15वीं शताब्दी के दक्षिण भारतीय मदुरई रियासत की लघु ताम्र मुद्राएँ भी यहां उपस्थित थीं। इसके साथ ही थाईलैंड और पलाऊ द्वीपों द्वारा जारी मुद्राओं का भी प्रदर्शन किया गया।
दुर्लभ शंख और अद्भुत पेंटिंग्स
इस उत्कृष्ट प्रदर्शनी में चार दुर्लभ शंखों को भी प्रदर्शित किया गया। इनमें एक शंख श्री कृष्ण की डेढ़ टांग वाले स्वरूप को दर्शाता है, जबकि दूसरे में उनका मुरली वादन प्रदर्शित है। इसके अलावा, तीसरे शंख में गोवर्धन धारण और चौथे में बांसुरी वादन रूप की झलक देखने को मिलती है। इसके साथ ही राजपूताना शैली, उड़िया शैली और बुन्देली कलम की पेंटिंग्स का खूबसूरत प्रदर्शन भी किया गया।
सोशल कल्चर पर असर
भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं को दर्शाते हुए कटआउट्स और श्री जगन्नाथ स्वरूप जी के कटआउट्स ने दीर्घा की शोभा बढ़ाई। इस अवसर पर प्रसाद के रूप में पंचामृत जल वितरित किया गया। मुख्य अतिथि डॉ प्रशांत निरंजन को वस्त्र उढ़ाकर स्वागत किया गया और उन्हें भगवान श्री जगन्नाथ जी की हस्त निर्मित पेंटिंग भी भेंट की गई।
उद्गाटन के पीछे की सोच
इस कार्यक्रम में संस्कार भारती जालौन के अध्यक्ष कीर्ति दीक्षित जी और भारत विकास परिषद के अन्य सदस्यों की उपस्थिति ने आयोजन को और भी गरिमा प्रदान की। श्रीमती ऊषा सिंह निरंजन और श्रीमती संध्या पुरवार ने सभी आगंतुकों को प्रेमपूर्वक प्रसाद वितरित किया।
इस प्रकार, ‘श्री मोहन दीर्घा’ ने हमें यह संदेश दिया कि हमारी कला और संस्कृति को संरक्षित करना आवश्यक है एवं हमें युवा पीढ़ी में जागरूकता फैलाने की जरूरत है। ऐसे आयोजनों से हमारी धरोहर को नई पहचान मिलती है और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बनती है।
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सभी कला प्रेमियों और सांस्कृतिक धरोहर के प्रति जागरूक रहने वालों के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण आयोजन था। ऐसी ही और खबरों के लिए हमारे साथ जुड़े रहें।
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