जानें क्यों लगाते हैं लड्डू गोपाल को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग, लोक कथा में छिपा है इसका कारण

Aug 17, 2025 - 00:30
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जानें क्यों लगाते हैं लड्डू गोपाल को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग, लोक कथा में छिपा है इसका कारण
जानें क्यों लगाते हैं लड्डू गोपाल को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग, लोक कथा में छिपा है इसका कारण

जानें क्यों लगाते हैं लड्डू गोपाल को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग, लोक कथा में छिपा है इसका कारण

नई दिल्ली: जब श्रीकृष्ण का बाल स्वरूप भक्तों के मन में बसता है, तो शरीर का रोम-रोम खिल उठता है। उनके जन्मदिन के विशेष अवसर पर घर-घर में खास तैयारियां शुरू होने लगती हैं, झूला सजता है, शंखनाद होता है, और अपने लड्डू गोपाल के स्वागत के लिए 56 भोग बनाए जाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि 56 भोग कैसे बने और इसके पीछे की कहानी क्या है? आइए, इसी लोक कथा का ज्ञान लेते हैं।

56 भोग का महत्व

56 भोग बनाने के पीछे का कारण एक लोकप्रचलित कथा में वर्णित है जो भगवान श्रीकृष्ण के बाल्यकाल से संबंधित है। कथा के अनुसार, एक बार बृजवासी इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए पूजा की तैयारी में जुटे हुए थे। तभी कान्हा जी ने नंद बाबा से पूछा कि वे इंद्रदेव की पूजा क्यों कर रहे हैं। नंद बाबा ने बताया कि वर्षा के लिए इंद्रदेव की कृपा आवश्यक है। इस पर कान्हा ने उत्प्रेरक की तरह कहा कि हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए।

कृष्ण की बात से सभी सहमत हुए और गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे। लेकिन इंद्रदेव इस बात से नाराज हो गए और उन्होंने तबाही मचाने वाली बारिश शुरू कर दी। बृजवासियों को बचाने के लिए, कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया। कथा के अनुसार, श्रीकृष्ण 7 दिनों तक इस पर्वत को अपने उंगली पर टेबल की तरह उठाए रहे।

माँ यशोदा का प्यार

इन 7 दिनों तक कृष्ण ने बिना कुछ खाए-पिए पर्वत को अपने उंगली पर उठाए रखा। इस कठिनाई में, माँ यशोदा ने अपने कान्हा के लिए 56 भोग तैयार किए थे, क्योंकि वह अपने लाल को एक दिन में आठ बार भोजन कराती थीं। ऐसे में 7 दिनों में 8 बार भोजन जोड़ने पर 56 भोग तैयार हुए और कृष्ण को अर्पित किए गए। इस प्रकार से 56 भोग चढ़ाने की परंपरा की शुरुआत हुई।

छप्पन भोग का रस

छप्पन भोग का अर्थ है 56 प्रकार के पकवान जिनमें हर स्वाद और भावना समाहित होती है। ये व्यंजन 6 रुखों को मिलाकर बनाए जाते हैं: मीठा, नमकीन, खट्टा, तीखा, कड़वा, और कसैला। यह विभिन्न स्वाद भक्तों के दिलों को छूने वाले हैं, और यही कारण है कि कृष्ण के भोग में ये शामिल किए जाते हैं।

संक्षेप में

इन लोक कथाओं और भोगों के माध्यम से भक्त अपनी श्रद्धा और प्रेम व्यक्त करते हैं। लड्डू गोपाल की पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक भावनात्मक कड़ी है जो संस्कृति, परंपरा और विश्वास को जोड़ती है। यह परंपरा आज भी जीवित है और हर साल भक्त खुशी-खुशी 56 भोग अर्पित करते हैं।

इस तरह, लड्डू गोपाल को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाने की परंपरा न केवल एक धार्मिक कृत्य है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक धरोहर का एक अहम हिस्सा भी है।

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Written by: Suman, Priya, Anju

Team asarkari

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