संघ शताब्दी वर्ष में समाज परिवर्तन का आह्वान, लाठरदेवा मंडल में विजय दशमी उत्सव संपन्न

Oct 6, 2025 - 00:30
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संघ शताब्दी वर्ष में समाज परिवर्तन का आह्वान, लाठरदेवा मंडल में विजय दशमी उत्सव संपन्न

रूडकी : राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ के शताब्दी वर्ष विजय दशमी पर नारसन खण्ड के लाठरदेवा मण्डल मे मास्टर अमरनाथ की अध्यक्षता मे कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता जिला प्रचारक – रुड़की जितेंद्र ने कहा कि तेत्रा युग मे मर्यादा पुरुषोतम श्रीराम ने चौदह वर्ष के वनवास मे वनवासी, गिरिवासी, वंचित, शोषित समाज के बीच रहकर जन जागरण द्वारा समाज को संगठित, शिक्षित एवं संस्कारित किया उसी संगठन शक्ति से अत्याचारी, महाबली दशानन् का वध कर असत्य पर सत्य की विजय प्राप्त की थी। श्रीराम ने पूरे जीवन में अपने आचरण द्वारा सामाजिक समरसता एवं कर्तव्य का पालन कर हमारे लिए आदर्श स्थापित किया । उन्ही आदर्शो पर डॉ केशव राव बलिराम हेडगेवार जन्मजात देशभक्त एवं स्वतन्त्रता सेनानी द्वारा कांग्रेस छोड़कर 1925 में व्यक्तित्व निर्माण के लिए विजयदशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना नागपुर में की थी । संघ आज 60 देशो में सनातन विचारों पर कार्य करते हुए विभिन्न उपेक्षा, उपहास एवं प्रतिबन्धो से संघर्ष करते हुए विश्व का सबसे बड़ा स्वयसेवी एवं स्वावलम्बी सगठन है। सौ वर्षों में संघ ने लाखो कार्यकर्ता, शाखाए, सहायक संगठनो का व्यापक नेटवर्क तैयार कर विदेशो तक भारतीय संस्कृति एव सेवाकार्य बाढ, भूकम्प, महामारी कोरोना जैसी आपदाओं मे सेवा कार्य, शिक्षा संस्थानों, छात्रावासो और सेवा परियोजनाओं की स्थापना की गई । वनवासी एव वंचित क्षेत्रों में सेवा कर सामाजिक समरसता और जाति भेद मिटाते हुए सभी के लिए एक कुआ, एक मन्दिर, एक शमशान के लिए प्रयासरत है ।

उन्होंने कहा राम मन्दिर निर्माण, रामसेतु, अमरनाथ यात्रा, उडुपी धर्माचार्य सम्मेलन तथा स्वदेशी एवं आत्म निर्भरता की भावना को बल दिया। संघ द्वारा प्रत्यक्ष राजनीति से दूर रहकर संघ की विचारधारा से प्रेरित कार्यकर्ताओ ने धारा 370, सर्जिकल स्ट्राइक, सिन्दुर आपरेशन, चंन्द्रमा पर तिरगा, नीतियो और शासन व्यवस्था मे सांस्कृतिक दृष्टिकोण का प्रवेश, भारतीय और मूल्यों का विश्व पटल पर प्रसार किया। संघ द्वारा सेवा, सगठन और सस्कार को आधार बनाकर राष्ट्र को एकात्म मानवदर्शन और सांस्कृतिक राष्ट्रीयत्व की राह पर अग्रसर करने का प्रयास कर रहा है। स्वतंत्रता आंदोलन में संघ की भूमिका पर कहा कि डॉक्टर हेडगेवार असहयोग आंदोलन में राजद्रोह के आरोप में 1 वर्ष जेल में रहे । साइमन कमीशन के विरोध में स्वयंसेवकों की सक्रिय भागीदारी रही 1930 में संघ शाखाओ में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया, सविनय अवज्ञा आंदोलन में सत्याग्रह कर जेल यात्रा की, भारत छोड़ो आंदोलन 1942 में संघ कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी और बलिदान हुए l कुछ स्थानों पर स्वतंत्र सरकार की स्थापना, शहीद राजगुरू भी आरएसएस शाखा से जुड़े हुए थे ।

स्वतन्त्रता बाद संघ की भूमिका पर कहा कि भारत विभाजन मे लाखो हिन्दुओ की सुरक्षा और पुर्नवास हेतु संघ ने वास्तुहारा समिति बनायी कशमीर, हैदरावाद, गोवा आन्दोलनों मे सघ का योगदान रहा 1962 व 65 तथा 1971 के युद्धो मे भारतीय सेना की मदद की संघ सेवाकार्य से प्रभावित प्रधानमंत्री नेहरू के आमन्त्रण पर 26 जनवरी 1963 की गणतन्त्र परेड में 3000 गणवेशधारी स्वयसेवको ने संघ घोष के साथ संचलन किया। 1975 के आपातकाल मे भूमिगत सगठन के रूप में लोकतन्त्र की रक्षा की, रामजन्म भूमि आन्दोलन में संघ की निर्णायक भूमिका रही ।

संघ की सौ वर्षो की यात्रा पर कहा कि 1940 तक काल खण्ड संघ की उपेक्षा, हर प्रकार का तिरस्कार अंग्रेजो द्वारा संघ पर झूठे आरोप लगाये तथा प्रतिबन्ध लगाया l किन्तु संघ कार्यपद्धति विकास एव व्यक्तित्व निर्माण जारी रहा । गाँधीजी ने संघ के प्रशिक्षण वर्ग वर्धा को देखकर संघ कार्य तेजी से बढ़ाने के लिए कहा था, सुभाष चन्द्रवोस खराब स्वास्थ देखने डां हेडगेवार के घर नागपुर आये थे। 1940 से 1990 का कार्यकाल सघ के विरोध का रहा 1947 मे गांधीजी की हत्या का झूठा आरोप लगाकर, 1975 आपात काल तथा रामजन्म भूमि आदोलन अयोध्या में विवादित ढाचे ढहाने के आरोप लगाकर तीन बार संघ पर सरकार ने प्रतिबन्ध लगाया । उनको डर था कि संघ का वर्चस्व न हो जाये राजनैतिक दल न बन जाये किन्तु संघ द्वारा विविध क्षेत्रों मे विकास, परिवर्तन कार्य, समन्वय स्थापित करने का कार्य, नवीन राष्ट्रीय चितन की दिशा कार्य करता रहा है जिसके आधार पर 1990 से संघ की सहमति का कालखण्ड चल रहा है जिसमे संघ आयाम एवं श्रेणी रचना संस्कार देने का कार्य एव पंच परिवर्तन से समाज परिवर्तन हेतु कुटुम्ब प्रवोधन मे स्वभाषा, भोजन, भजन, भ्रमण, भवन, भूषा सामाजिक समरसता, पर्यावरण, स्वदेशी, नागरिक शिष्टाचार, सामाजिक सदभाव गतिविधियां कार्यरत है । वर्तमान स्थिति पर उन्होंने कहा कि टैरिफ द्वारा भारत को कमजोर करने की कोशिश, षडयन्त्रो द्वारा जातीय संघर्ष, हिन्दुत्व व हिन्दू दर्शन से घृणा, लव जेहाद, लैण्ड जेहाद, जनसंख्या असन्तुलन, पलायन, रोजगार संसाधनो पर कब्जा, कौशल विकास में हिन्दू शिथिलता, ग्राम स्वालम्बन, रीति-रिवाजों परम्पराओं से खिलवाड, समाज तोडनेवाले धारावाहिकों का षडयन्त्र, देशविरोधी गतिविधिया, वामपंथी एजेन्डे को समझना और सर्तकता जैसी समस्याओं से बचाने के लिए सघ के 42 सगठन कार्य कर रहे हैं। जो संघ के उद्देशय भारत माता को परम वैभव पर पहुंचाने को समाज के सहयोग से पूर्ण करेंगे ।

संघ प्रार्थना कर कार्यक्रम पूर्ण करने से पहले मुख्य वक्ता जितेंद्र ने शाखा के विषय में कहा कि “सब समस्याओ का एक समाधान, संघ स्थान, संघ स्थान संघ स्थान” । कार्यक्रम में खंड संघचालक ओमपाल, खण्ड शारीरिक शिक्षण प्रमुख, खण्ड घोष प्रमुख संचित, मण्डल कार्यवाह आकाश, जितेन्द्र, शिवा, देवराज, मनीष, अद्वैत सहित सैकडो गणवेश धारी स्वयंसेवक उपस्थित रहे।

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