देहरादून आपदा: मलबे में दबे गांव का मंजर देख फूट पड़ा ग्रामीणों का दर्द

बारिश से आए सैलाब ने गांव को मलबे में दबा दिया। तबाही का मंजर देखकर ग्रामीणों की आंखें नम हो गईं, वे अपना दुख छिपा नहीं पाए।
सोमवार-मंगलवार की रात सहस्रधारा के मजाडा और कार्लीगाड़ गांव में आई आपदा के बाद से ग्रामीण भय में हैं। मलबे में घर और खेत दबने से उन पर संकट टूट पड़ा है। बुधवार को जब लोग मवेशियों को चारा-पत्ती देने पहुंचे तो उजड़े गांव का नजारा देखकर उनकी आंखें भर आईं।
हालांकि बुधवार को बारिश नहीं हुई, जिससे ग्रामीणों ने कुछ राहत महसूस की, लेकिन खतरा अभी भी टला नहीं है। एहतियातन लोगों को स्कूल और होटलों में शिफ्ट कर दिया गया है। राजकीय प्राथमिक विद्यालय चौकी चूंगी, चामासारी से भी परिवारों को दूसरी जगह भेजा गया। सेरा गांव के प्रधान संजय सिंह ने बताया कि प्रभावित ग्रामीणों को सहस्रधारा के दो होटलों, कुल्हान के एक होटल और नागल हटनाल के कुछ होटलों में ठहराया गया है।
कुछ ग्रामीण अपने रिश्तेदारों या पास के गांवों में चले गए हैं। मजाडा और कार्लीगाड़ गांव पूरी तरह खाली करा दिए गए हैं, जहां अब सिर्फ रेस्क्यू टीम काम कर रही है। मजाडा के ग्रामीण अरविंद ने बताया कि बुधवार को वे कुछ लोगों के साथ गांव पहुंचे और मवेशियों को चारा-पत्ती दी। गजेंद्र के अनुसार, मलबे में दबे गांव को देखकर सभी ग्रामीण भावुक हो उठे और आंसू रोक नहीं पाए। मवेशियों की देखभाल के बाद सभी वापस होटल लौट गए।
सहस्रधारा से आईटी पार्क तक पानी की किल्लत
आपदा के बाद से सहस्रधारा से लेकर आईटी पार्क तक पानी की भारी किल्लत बनी हुई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जल संकट के समाधान के लिए विभाग का कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। कई बार शिकायत करने के बावजूद समस्या जस की तस है। मजबूरन लोग निजी टैंकरों से पानी मंगा रहे हैं।
जल संस्थान के अधीक्षण अभियंता राजीव सैनी ने बताया कि आपदा के दौरान सहस्रधारा की पाइप लाइनें क्षतिग्रस्त हो गई थीं, जिसकी वजह से आईटी पार्क तक जल संकट बढ़ गया है। हालांकि प्रभावित क्षेत्रों में टैंकरों से पानी उपलब्ध कराया जा रहा है और पाइप लाइनों की मरम्मत का काम भी चल रहा है। बुधवार देर शाम तक कुछ लाइनों को दुरुस्त कर लिया जाएगा।
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