Chardham Yatra 2025: आपदा से गंगोत्री-यमुनोत्री बंद, केदारनाथ-बदरीनाथ पर टिकी यात्रा; भूस्खलन बना सबसे बड़ा संकट

Aug 28, 2025 - 18:30
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Chardham Yatra 2025: आपदा से गंगोत्री-यमुनोत्री बंद, केदारनाथ-बदरीनाथ पर टिकी यात्रा; भूस्खलन बना सबसे बड़ा संकट
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उत्तरकाशी जिले में आई आपदा के कारण गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की यात्रा पूरी तरह से ठप हो गई है। भारी बारिश और इसके परिणामस्वरूप होने वाले भूस्खलन ने चारधाम यात्रा को संकट में डाल दिया है। वर्तमान में, यात्रा केवल केदारनाथ और बदरीनाथ धाम तक सीमित रह गई है, लेकिन यहां भी भूस्खलन एक बड़ी बाधा बन रहा है।

आपदा का असर: गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा ठप

चौधरी पार्वती देवी और नंदनी देवी पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की यात्रा हाल ही में आई आपदा के कारण प्रभावित हो गई है। उत्तरकाशी में लगातार बारिश से स्थानीय नदियों में उफान आ गया है, जिससे यात्रियों की सुरक्षा को खतरा हो गया है। इस बार की यात्रा में 42.54 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं, लेकिन अब गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा बंद होने से वहां सन्नाटा छा गया है।

भूस्खलन से बढ़ी चुनौतियाँ

भूस्खलन के कारण केदारनाथ और बदरीनाथ के मार्ग भी चुनौतीपूर्ण हो गए हैं। कमेड़ा और लामबगड़ में भूस्खलन लगातार यात्रियों को बाधित कर रहा है। इसके अलावा, सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच भी स्थिति बनी हुई है। इस प्रकार की चुनौतियों के कारण यात्रा की रफ्तार धीमी हो गई है।

सरकारी राहत और यात्रा की सुरक्षा

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने इस आपदा को लेकर कहा कि प्रशासन राहत कार्यों में जुटा हुआ है। यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे मौसम की जानकारी लेकर ही यात्रा पर निकलें। उनका मानना है कि मौसम सुधरने पर यात्रा फिर से गति पकड़ लेगी।

संख्यात्मक आंकड़े: दर्शन कर चुके यात्री

आकड़ों के अनुसार, अभी तक केदारनाथ ने 14.80 लाख श्रद्धालुओं को दर्शन कराए हैं, वहीं बदरीनाथ में यह संख्या 12.78 लाख है। गंगोत्री में 6.69 लाख और यमुनोत्री में 5.86 लाख श्रद्धालु पहुंचे हैं। हेमकुंड साहिब में भी 2.49 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं।

इस प्रकार, इस बार की चारधाम यात्रा मौसम के मिजाज और आपदा के चलते आंशिक रूप से प्रभावित हुई है। यह देखकर कहना गलत नहीं होगा कि सभी की नजरें केदारनाथ और बदरीनाथ की ओर हैं, जहां अभी भी श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।

कुल मिलाकर, यात्रा की सुरक्षा और यात्रियों की स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जिससे श्रद्धालुओं को एक सुरक्षित और सुखद यात्रा अनुभव हो सके।

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