ऑपरेशन कालनेमी : पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा- सावधानी बरतने की जरूरत

Jul 18, 2025 - 18:30
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ऑपरेशन कालनेमी : पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा- सावधानी बरतने की जरूरत
ऑपरेशन कालनेमी : पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा- सावधानी बरतने की जरूरत

ऑपरेशन कालनेमी : पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा- सावधानी बरतने की जरूरत

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देहरादून : उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रदेश में फर्जी साधु-संतों की पहचान और कार्रवाई के उद्देश्य से चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन कालनेमी’ पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने अभियान के उद्देश्य को उचित बताया, लेकिन इसके क्रियान्वयन को लेकर कुछ महत्वपूर्ण सवाल भी खड़े किए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे प्रदेश में कई ऐसे लोग साधु-संतों के भेष में घूम रहे हैं जिनका सनातन धर्म या भगवा से कोई वास्तविक संबंध नहीं है। ऐसे लोगों के खिलाफ अभियान चलाना जरूरी है, लेकिन इस दौरान प्रशासन को सावधानी भी बरतनी चाहिए।

नाम पर को लेकर कही यह बात

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ऑपरेशन के नाम पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘कालनेमी’ एक राक्षस था, जो रावण का मित्र और भगवान राम का विरोधी था। उन्होंने कहा कि हमें यह देखना होगा कि आज के दौर में कौन राम के लिए काम कर रहा है और कौन रावण के लिए। नामकरण करते समय इसकी संवेदनशीलता का ध्यान रखा जाना चाहिए। रावत का यह कहना काफी विचारशील है और स्पष्ट करता है कि सरकार की कार्रवाई की प्रगति और नामकरण का संदर्भ एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हैं।

कानूनी आधार पर उठाए सवाल

पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने सवाल किया कि अब तक पकड़े गए फर्जी बाबाओं के खिलाफ किस कानूनी धारा के तहत कार्रवाई की गई है, यह स्पष्ट नहीं किया गया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे मामलों में, जहां सजा सात वर्ष से कम की है, वहां गिरफ्तारी से पहले कानूनी प्रक्रिया का पालन आवश्यक है। यह महत्वपूर्ण है कि प्रशासन इन तकनीकी पहलुओं पर गंभीरता से विचार करे, ताकि कोई भी निर्दोष व्यक्ति इस कार्रवाई का शिकार न हो।

असली गरीब-संतों पर न हो असर

पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कुछ साधु या भिक्षुक सचमुच गरीब, असहाय और धार्मिक हैं, और केवल पारंपरिक रूप से दान-दक्षिणा या भिक्षा मांगते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे लोगों को इस अभियान की चपेट में लाकर परेशान न किया जाए। उनके लिए अलग से कोई समाधान तलाशा जाना चाहिए। यह न केवल प्रशासन की जिम्मेदारी है, बल्कि समाज का भी कर्तव्य है कि वास्तविक साधु-संतों की रक्षा की जाए।

खुदाई की देखभाल की आवश्यकता

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने हाल ही में फर्जी बाबाओं और धर्म के नाम पर लोगों को गुमराह करने वाले तत्वों के खिलाफ कार्रवाई के लिए ‘ऑपरेशन कालनेमी’ की शुरुआत की है। अब तक राज्य के कई क्षेत्रों में ऐसे लोगों की पहचान कर कार्रवाई की जा चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान से साफ है कि भले ही सरकार का इरादा नेक हो, लेकिन क्रियान्वयन में सावधानी और संवेदनशीलता बरतना जरूरी है।

इस अभियान के सकारात्मक पहलुओं के बावजूद, सावधानी और सोच-विचार के बिना कोई कदम उठाना उचित नहीं होगा। समाज में संतों और साधुओं के असली सेवकों का सम्मान करने की आवश्यकता है, जबकि फर्जी तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

सारांश में, ‘ऑपरेशन कालनेमी’ को प्रभावी बनाने के लिए सरकार को उन सभी पहलुओं पर ध्यान देना होगा जो त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उठाए हैं। हमें आशा है कि उचित कार्यवाही की जाएगी और समाज की सुरक्षा के साथ-साथ सत्यता का भी ध्यान रखा जाएगा।

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