देहरादून से आज की सबसे बड़ी खबर, देहरादून जिला आबकारी अधिकारी पर कभी भी गिर सकती है गाज, लोकहित के निर्णय का कर रहे थे विरोध

Jul 25, 2025 - 09:30
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देहरादून से आज की सबसे बड़ी खबर, देहरादून जिला आबकारी अधिकारी पर कभी भी गिर सकती है गाज, लोकहित के निर्णय का कर रहे थे विरोध
देहरादून से आज की सबसे बड़ी खबर, देहरादून जिला आबकारी अधिकारी पर कभी भी गिर सकती है गाज, लोकहित के निर्णय का कर रहे थे विरोध

देहरादून से आज की सबसे बड़ी खबर, देहरादून जिला आबकारी अधिकारी पर कभी भी गिर सकती है गाज, लोकहित के निर्णय का कर रहे थे विरोध

काम तो काम है, लेकिन जब बात लोकहित की आती है, तो जिम्मेदारियों का निर्वहन करना कोई आसान काम नहीं रहता। इसी संदर्भ में देहरादून की एक बड़ी खबर आ रही है जहाँ जिला आबकारी अधिकारी केपी सिंह पर बड़ा संकट आया है। सूत्रों के अनुसार, उन्हें लोकहित के निर्णय का विरोध करते हुए देखा गया है, जिसके चलते उनके कार्यों पर सवाल उठ रहे हैं। आज की इस खास रिपोर्ट में हम इस घटनाक्रम की विस्तृत जानकारी देंगे। Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - asarkari

सूत्रों का क्या कहना है?

सूत्रों के मुताबिक, केपी सिंह ने निजी लाभ के लिए लोकहित के निर्णय का लगातार विरोध किया है। हाल ही में जिलाधिकारी सविन बसंल की अध्यक्षता में गठित एक समिति द्वारा दी गई सिफारिश के आधार पर, पर्यावरण और यातायात सुरक्षा का हवाला देते हुए 6 शराब की दुकानों के शिफ्टिंग का आदेश दिया गया था। इस दिशा में उठाए गए कदम को जिला आबकारी अधिकारी ने अपनी निजी स्वार्थ के लिए अनसुना कर दिया। इस प्रकार के कार्यों के लिए अभी हाल ही में उन्हें निलंबित करने की संस्तुति भी की गई है।

राज्य प्रशासन का संकल्प

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य प्रशासन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है। उन्हें सार्वजनिक सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण लगती है। इसलिए, देहरादून प्रशासन ने किसी भी स्थिति में जनसुरक्षा से समझौता नहीं करने का संकल्प लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा, "हमारा उद्देश्य सेवा, सुरक्षा और सुशासन को साकार करना है। इस हादसे में किसी भी प्रकार की चूक का कोई स्थान नहीं है।"

निष्कर्ष

इस मामले की उच्चस्तरीय जांच शुरू कर दी गई है और इसमें जिला आबकारी अधिकारी के सभी कार्यों की समीक्षा की जाएगी। यदि उन पर आरोप साबित होते हैं, तो उनका भयावह हश्र हो सकता है। देहरादून का उद्यमी वर्ग और आम जनता इस घटनाक्रम का ध्यानपूर्वक अध्ययन कर रही है। वहीं, उच्च न्यायालय, आबकारी आयुक्त, और शासन ने डीएम के आदेश को सही ठहराया है। अब देखना यह है कि क्या केपी सिंह अपने कार्यों से सीख ले पाएंगे या फिर उन्हें अपने कार्यों के गंभीर परिणाम का सामना करना पड़ेगा। इस प्रकार की घटनाएँ राज्य की व्यवस्था की गुणवत्ता पर भी सवालिया निशान उठाती हैं। For more updates, visit asarkari.com

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