धर्म का एक दशक: मोदी युग में सांस्कृतिक पुनर्जागरण

Jun 19, 2025 - 00:30
 128  19.2k
धर्म का एक दशक: मोदी युग में सांस्कृतिक पुनर्जागरण
धर्म का एक दशक: मोदी युग में सांस्कृतिक पुनर्जागरण

धर्म का एक दशक: मोदी युग में सांस्कृतिक पुनर्जागरण

Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - asarkari

लेखिका: प्रिया चौधरी, सुमन शर्मा, जबकि टीम asarkari

परिचय

2024 में, जब पावन नगरी अयोध्या में सूर्योदय हुआ, तो भारतीय संस्कृति के अध्याय में एक नया मोड़ आया। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने इस बात पर ध्यान दिया है कि श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा ने न केवल धार्मिक उपलब्धि को दिखाया है, बल्कि यह सभ्यता के उद्धार का क्षण भी बन गया है। यह एक दशक, जो मोदी युग में रूपांतरित हुआ, सांस्कृतिक पुनर्जागरण का गवाह बना है।

धार्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण

यह सांस्कृतिक पुनर्जागरण सदियों के धुंधले इतिहास को पुनर्जीवित करने का एक प्रयास है। जैसे-जैसे श्री राम मंदिर का निर्माण किया गया, वैसे-वैसे भारतीय जनता में अपने धार्मिक मूल्य और प्रतीकों के प्रति एक नई जागरूकता उत्पन्न हुई। यह केवल एक मुहिम नहीं थी, बल्कि यह एक उचित पहचान की खोज थी।

संस्कृति का महत्व

मोदी सरकार में सांस्कृतिक गतिविधियों को सजावटी से मूलभूत बनाया गया है। योग दिवस, जो 2015 में मनाया गया, अब विश्व स्तर पर मनाया जाता है। यह भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है, जो कि शरीर, मन और आत्मा को जोड़ता है। यह केवल स्वास्थ्य का प्रश्न नहीं, बल्कि एक पूरे देश की सांस्कृतिक धरोहर का जश्न है।

पारंपरिक ज्ञान का पुनरुद्धार

आयुष मंत्रालय के माध्यम से पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को पुनर्जीवित किया गया है। आयुर्वेद और योग जैसी प्रतिमाओं को वैश्विक मंच पर आगे बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसके साथ, संस्कृत और तमिल जैसे भाषाओं का संरक्षण भी महत्वपूर्ण कदम हैं। लुप्तप्राय कलाओं और शिल्पों को समर्थन दिए जाने के लिए विभिन्न मिशन भी शुरू किए गए हैं।

विशाल सांस्कृतिक परिवर्तन

2018 में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का अनावरण भी हमारे समाज में व्यापकता के साथ-साथ राष्ट्रीय प्रतिष्ठा के एक नए अध्याय का प्रतीक बना। यह केवल भव्य भर नहीं, बल्कि एक विजन का साक्षी बना। राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करना औपनिवेशिक अतीत से मुक्ति की एक महत्वपूर्ण कदम था।

सांस्कृतिक कूटनीति

भारत के इतिहास और सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक कूटनीति में प्रमुखता दी जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने विश्व नेताओं को भारतीय कारीगरी के उपहार भेंट किए हैं, जो हमारी समृद्ध संस्कृति का संदेश फैलाते हैं। 2023 में जी-20 की अध्यक्षता एक ऐसा अवसर रहा, जहां भारत ने अपनी सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित किया।

निष्कर्ष

इन ग्यारह वर्षों में मोदी युग ने सांस्कृतिक नीति को केवल प्राथमिकता नहीं दी, बल्कि सांस्कृतिक चेतना के जागरण का प्रयास किया है। राम मंदिर और सेंगोल जैसे प्रतीक हमेशा इतिहास में महत्त्वपूर्ण रहेंगे। भारत का भविष्य तभी उज्ज्वल है, जब हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को पहचानेंगे और उसे सहेजकर रखेंगे। आज भारत न केवल एक लंबे इतिहास वाला देश है, बल्कि एक जीवंत सभ्यता भी है। धर्म की निगरानी में, भारत ने अपने आवाज को पुनः प्राप्त किया है।

Keywords:

Cultural Renaissance, Modi Era, Indian Heritage, Ram Temple, Ayodhya, Yoga Day, Indian Tradition, National Identity, G-20 Presidency, Soft Power

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0