पंचायतों में दिख रहा युवाओं का दम, चमोली में 23 साल का युवा टॉस से बना प्रधान, तो 21 साल की प्रियंका बनी सबसे युवा प्रधान

Jul 31, 2025 - 18:30
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पंचायतों में दिख रहा युवाओं का दम, चमोली में 23 साल का युवा टॉस से बना प्रधान, तो 21 साल की प्रियंका बनी सबसे युवा प्रधान
पंचायतों में दिख रहा युवाओं का दम, चमोली में 23 साल का युवा टॉस से बना प्रधान, तो 21 साल की प्रियंका बनी सबसे युवा प्रधान

पंचायतों में दिख रहा युवाओं का दम, चमोली में 23 साल का युवा टॉस से बना प्रधान, तो 21 साल की प्रियंका बनी सबसे युवा प्रधान

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रैबार डेस्क: उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के नतीजे आना शुरू हो गए हैं। युवाओं ने इस बार बंपर वोटिंग की थी। संभवत युवा प्रत्याशियों को युवाओं ने बड़ी तादाद में वोट दिए जिसकी झलक नतीजों में भी दिख रही है। चमोली में सारकोट गांव से 21 साल की प्रियंका सबसे कम उम्र की प्रधान चुनी गई हैं, जबकि पिथौरागढ़ में 22 साल की ईशा भी ग्राम प्रधान चुनी गई हैं।

टॉस से हुआ प्रधानी का फैसला

चमोली जिले के दसोली ब्लॉक के बणद्वारा ग्राम प्रधान पद को लेकर दिलचस्प नजारा दिखा। यहां 23 साल के युवा नितिन नेगी ने बाजी मारी। दरअसल, प्रधान पद के प्रत्याशी नितिन नेगी और रविंद्र के बीच कड़ी टक्कर रही। आखिरी चरण के वोटों की गिनती तक दोनों उम्मीदवारों को बराबर-बराबर 138-138 वोट मिले। जिसके बाद नतीजा बराबर में आकर रुक गया। इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग के अधिनियम के तहत दोनों प्रत्याशियों के बीच निर्वाचन अधिकारी द्वारा टॉस उछालकर फैसला लिया गया, जिसमें 23 साल के नितिन नेगी ने ग्राम प्रधान पद हासिल कर जीत दर्ज की।

प्रियंका बनी सबसे कम उम्र की प्रधान

चमोली की सारकोट ग्राम पंचायत से प्रियंका नेगी सबसे कम उम्र की ग्राम प्रधान बनीं हैं। उनकी उम्र मात्र 21 साल है। प्रियंका नेगी को 421 मत प्राप्त हुए जबकि उनकी प्रतिद्वंदी प्रियंका देवी को 235 वोट मिले। गैरसैंण विकासखंड के आदर्श ग्राम सारकोट की प्रियंका नेगी ने राजनीति शास्त्र से ग्रेजुएशन किया है। उनके पिता राजेंद्र नेगी इससे पहले 2 बार ग्राम सभा सारकोट के प्रधान रह चुके हैं। सारकोट गांव को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गोद लिया हुआ है।

मुनस्यारी में 22 साल की ईशा का कमाल

मुनस्यारी की वादियों से एक नई उम्मीद की हवा चली है, और इस बार नाम है – ईशा। उम्र सिर्फ 22 साल, लेकिन जज़्बा ऐसा कि पूरे क्विरिजिमिया गांव ने उन्हें सर आंखों पर बैठा लिया। जी हां, पिथौरागढ़ जिले के इस छोटे से गांव की ईशा अब सबसे कम उम्र की ग्राम प्रधान बन गई हैं। पंचायत चुनाव में ईशा को 96 वोट मिले जबकि उनकी प्रतिद्वंदी को 76 वोट ही मिल सके। पंचायत चुनाव 2025 में ईशा की जीत ने यह साबित कर दिया है कि युवा अब सिर्फ सोशल मीडिया पर ही नहीं, गांव की ज़मीन पर भी बदलाव लिख रहे हैं।

पौड़ी में बीटेक पास लड़की बनी प्रधान

जिले जिले के पाबौ ब्लॉक में कुई गांव की 22 वर्षीय साक्षी प्रधान चुनी गई। साक्षी देहरादून से बीटेक करके अपने गांव लौटी। जहां उन्होंने क्षेत्र का विकास करने की ठानी। इसके बाद उन्होंने ग्राम प्रधान के पद की दावेदारी की और आज साक्षी कुई गांव की प्रधान चुनी गई है। साक्षी ने कहा कि अपने बीटेक के अनुभव को वे गांव के विकास में लगाएंगी। वहीं जिले की आमसौड़ ग्राम पंचायत से 21 साल की रेशमा भी ग्राम प्रधान चुनी गई हैं।

युवाओं का नेतृत्व

यह सभी युवा नेता यह साबित करते हैं कि युवा केवल प्रौद्योगिकी के माध्यम से ही नहीं, बल्कि सार्वजनिक सरकारी संस्थानों में सक्रिय रूप से योगदान देने के लिए भी तत्पर हैं। उनकी जीत न केवल उनके व्यक्तित्व और योग्यताओं को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताता है कि युवा मतदाता अब सक्रिय रूप से चुनावों में भाग ले रहे हैं। इस बार के चुनाव परिणाम यह दिखाते हैं कि राजनीति में युवा शक्ति का योगदान दांव पर है और उनके नेतृत्व में नया विश्वास है।

इस बार की पंचायत चुनाव में युवाओं ने जोश और उत्साह के साथ अपना मतदान किया। उनके द्वारा दिखाए गए इस कदम को अन्य युवा नेताओं के लिए प्रेरणा के रूप में देखा जा सकता है। इस प्रकार की युवा भागीदारी से उम्मीद बँधती है कि भविष्य में हमारे गांव और नगर को एक नई दिशा मिलेगी।

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