सौहार्द और एकता का संदेश देती है दीपावली!

Oct 20, 2025 - 00:30
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सौहार्द और एकता का संदेश देती है दीपावली!

महंत विशाल गौड़

खुशियों का त्योहार दीपावली आपसी प्यार, संस्कार और एकता का संदेश देती है। इसे पूरे भारत में सभी लोग आपसी सौहार्द के साथ मनाते है। दीपावली उत्तरी गोलार्ध की शरद ऋतु में प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला एक पौराणिक उत्सव है। यह कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है और भारत के सबसे बड़े और सर्वाधिक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। आध्यात्मिक रूप से यह अन्धकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है। दिवाली की सबसे प्रचलित कहानी भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के बाद रावण पर विजय पाकर अयोध्या लौटने की है। रावण ने माता सीता जी का अपहरण कर लिया था, लेकिन भगवान राम ने हनुमान और सुग्रीव की मदद से रावण को हराकर सीता को बचाया। उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीये जलाए और पूरे नगर को रोशन किया, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दिवाली, रोशनी का त्योहार, बुराई पर अच्छाई, अंधकार पर प्रकाश और अज्ञान पर ज्ञान की जीत का प्रतीक है।

जीवन के गहन सत्य को संप्रेषित करने को भी जलाए जाते हैं दीपक
इस दिन दीपक केवल घरों को सजाने के लिए ही नहीं, बल्कि जीवन के एक गहन सत्य को संप्रेषित करने के लिए भी जलाए जाते हैं- जब भीतर का अंधकार ईश्वर के प्रकाश से दूर हो जाता है। द्रिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष अमावस्या तिथि की शुरुआत 20 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 21 अक्टूबर की रात 9 बजकर 03 मिनट पर होगा। दिवाली के दिन लक्ष्मी-गणेश पूजन का सबसे शुभ समय शाम 7 बजकर 08 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। पांच दिवसीय त्यौहार धनतेरस से शुरू होता है और भाई दूज के साथ समाप्त होता है। दिवाली दो दिनों तक मनाई जाती है। छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी के रूप में भी जाना जाता है और बड़ी दिवाली, जिसे दिवाली के रूप में भी जाना जाता है। महंत विशाल गौड़ ने कहा दीपावली सुख समृद्घि और आपसी भाईचारे का संदेश देती है। राम मंदिर निर्माण से देश का मान विदेशों में होने के साथ अयोध्या का वैभव पुन:स्थापित हुआ है। इसके लिये कोर्ट के साथ केन्द्र व प्रदेश सरकार भी प्रसंशा की पात्र है। उन्होने मनभेद मिटाकर दीपावली मनाने का संदेश दिया। दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाने वाली छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन गोबर का दीपक जलाने की प्राचीन परंपरा है।

नकारात्मक ऊर्जा दूर कर घर में सुख-शांति लाते हैं दीपक
आस्था के अनुसार ऐसा माना जाता है कि ये दीपक नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते हैं, घर में सुख-शांति लाते हैं। इस दिन दक्षिण दिशा में जलाए जाने वाले ये दीये यमराज को समर्पित होते है। छोटी दिवाली के दिन लोग यम के लिए दीपदान भी करते हैं। इस दिन हनुमान जी की पूजा भी अत्यंत शुभ व फलदायी मानी जाती है। दिवाली का त्योहार हमें अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है। यह एकता, प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा देता है और हमें अपने भीतर की नकारात्मकता, अज्ञानता और बुराइयों को दूर कर सच्चाई और ज्ञान के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। यह त्योहार समृद्धि और खुशियों के साथ-साथ उदारता, स्वच्छता और कृतज्ञता जैसे मूल्यों का भी महत्व सिखाता है। भाईचारे को बढ़ावा देता है और हमें अपने भीतर की नकारात्मकता, अज्ञानता और बुराइयों को दूर कर सच्चाई और ज्ञान के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। यह त्योहार समृद्धि और खुशियों के साथ-साथ उदारता, स्वच्छता और कृतज्ञता जैसे मूल्यों का भी महत्व सिखाता है। मुख्य संदेश बुराई पर अच्छाई की जीत-यह सबसे महत्वपूर्ण संदेश है, जो राम की रावण पर जीत या अन्य पौराणिक कथाओं का प्रतीक है, जिसमें अच्छाई की अंतत: जीत होती है।

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