हरिद्वार: नगर निगम की बैठक में मचा बवाल, अवैध कब्जों पर पार्षदों ने जताई नाराज़गी

हरिद्वार: नगर निगम की बैठक में मचा बवाल, अवैध कब्जों पर पार्षदों ने जताई नाराज़गी
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हरिद्वार में नगर निगम की बैठक में अवैध कब्जों के मुद्दे पर पार्षदों ने अपना गुस्सा व्यक्त किया। यह बैठक ऋषिकुल आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के सभागार में आयोजित की गई जिसमें नगर आयुक्त नंदन कुमार भी उपस्थित थे। बैठक में पार्षदों ने अवैध कब्जों को हटाने की ज़रूरत पर जोर दिया और नगर निगम की योजनाओं पर कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए।
बैठक में हंगामा और पार्षदों की नाराज़गी
बैठक के दौरान जब अवैध कब्जों का विषय छिड़ा, तो पार्षदों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। उन्होंने नगर आयुक्त से मांग की कि अवैध कब्जों को तुरंत प्रभाव से हटाया जाए ताकि शहर की भूमि पर सही उपयोग हो सके। पार्षदों का कहना था कि अवैध कब्जों के कारण हरिद्वार की छवि पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
इसके अतिरिक्त, पार्षदों ने पार्कों की देखरेख को लेकर उठाए गए एक प्रस्ताव पर भी आपत्ति जताई। प्रस्ताव के अनुसार, पार्कों की देखरेख कुछ निजी संस्थाओं को दी जानी थी, जिस पर कई पार्षदों ने विरोध किया। उनका तर्क था कि अगर पार्कों का रखरखाव निजी संस्थाएं करेंगी, तो भविष्य में वे कब्जाधारी बन सकते हैं।
अवैध कब्जों का मुद्दा और नगर निगम की योजनाएँ
बैठक में पार्षदों ने यह भी सुझाव दिया कि मलिन बस्तियों में रह रहे लोगों का सत्यापन किया जाए और अवैध कब्जों को तत्काल हटा दिया जाए। इसके अलावा, फ्लेटों के लिए हाउस टैक्स लगाने की मांग की गई। इस विषय पर गहन चर्चा की गई और यह तय किया गया कि इस पर जल्दी ही निर्णय लिया जाएगा।
बैठक में एक और महत्वपूर्ण विषय था, नगर निगम की भूमि पर प्रस्तावित डिस्पेंसरी का निर्माण। पार्षदों ने इस प्रस्ताव को निरस्त करने की मांग की, जिससे यह साफ हो गया कि पार्षद इस विषय पर गंभीर हैं और कोई भी निर्णय जल्दबाज़ी में नहीं लेना चाहते।
निष्कर्ष
हरिद्वार की नगर निगम की बैठक ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अवैध कब्जों के मुद्दे पर पार्षद सक्रियता से काम करना चाहते हैं। उनकी मांगें और आशंकाएं दर्शाती हैं कि वे शहर की बेहतरी के लिए समर्पित हैं। ऐसे समय में जब नगर निगम नई योजनाएं बना रहा है, पार्षदों की जागरूकता सकारात्मक बदलाव के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सार्वजनिक मुद्दों पर चर्चा का यह एक अद्भुत उदाहरण है जिसे हरिद्वार के नागरिकों को समझना और समर्थन देना चाहिए। इसके साथ ही, नगर निगम को भी पार्षदों की चिंताओं का सम्मान करते हुए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
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