मातृ स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्तराखण्ड की ऐतिहासिक पहल

Aug 26, 2025 - 18:30
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मातृ स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्तराखण्ड की ऐतिहासिक पहल
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देहरादून। मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्तराखण्ड ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। प्रदेश सरकार ने नर्स प्रैक्टिशनर मिडवाइफरी कार्यक्रम को स्वीकृति दे दी है। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने कहा कि सरकार का यह निर्णय मातृ एवं नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करने तथा सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा देने की दिशा में एक मील का पत्थर सिद्ध होगा। मातृ मृत्यु अनुपात को कम करने के इस प्रयास से राज्य के लाखों परिवारों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकता है।

कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी

सोमवार को सचिवालय में राज्य स्तरीय मिडवाइफरी टास्क फोर्स की बैठक आयोजित की गई, जहां स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने नर्स प्रैक्टिशनर मिडवाइफरी कार्यक्रम को उत्तराखण्ड में प्रारम्भ करने की स्वीकृति प्रदान की। वर्तमान में उत्तराखण्ड का मातृ मृत्यु अनुपात 104 प्रति एक लाख जीवित जन्म है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 88 प्रति एक लाख जीवित जन्म है। इसके चलते राज्य में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार आवश्यक हो गया था।

मातृ स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की दिशा में प्रमुख कदम

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने बताया कि नर्स प्रैक्टिशनर मिडवाइफरी कार्यक्रम की शुरुआत राज्य के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह कार्यक्रम मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार करेगा, जिससे उत्तराखण्ड के मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में कमी आ सकती है। वर्तमान की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, यह कार्यक्रम सुनिश्चित करेगा कि हमें सुरक्षित मातृत्व सेवाएं समय पर मिलें।

प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत

स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि जल्द ही 30 नर्स प्रैक्टिशनर मिडवाइफ के पहले बैच की शुरुआत की जाएगी। इसका एक विशेष 18 माह का प्रशिक्षण कार्यक्रम राज्य मिडवाइफरी प्रशिक्षण संस्थान, देहरादून में संचालित किया जाएगा। प्रशिक्षण के बाद, जीएनएम/बी.एससी. नर्सिंग पृष्ठभूमि वाली प्रशिक्षित मिडवाइफ को राज्य के चयनित सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में तैनात किया जाएगा। यह पहल भारत सरकार की मिडवाइफरी पहल एवं सतत् विकास लक्ष्यों के अनुरूप है।

निष्कर्ष

उल्लेखनीय है कि यह ऐतिहासिक पहल उत्तराखण्ड के मातृ स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में नई ऊँचाइयों तक पहुंचाने में सहायक सिद्ध होगी। यह प्रयास माताओं एवं नवजात शिशुओं का स्वास्थ्य बेहतर बनाएगा। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का वादा करता है।

इस ऐतिहासिक पहल को सफल बनाने के लिए सभी संबंधित विभागों और अधिकारियों को मिलकर काम करना होगा। उम्मीद की जा रही है कि इस कार्यक्रम के माध्यम से मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नई शुरुआत होगी।

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