प्रधान प्रत्याशी का स्टांप पेपर पर लिख कर ग्रामीणों से वादा, काम नहीं किए तो प्रधानी से हटा देना
प्रधान प्रत्याशी का स्टांप पेपर पर लिख कर ग्रामीणों से वादा, काम नहीं किए तो प्रधानी से हटा देना
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रैबार डेस्क: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की गहमागहमी चरम पर है। सभी प्रत्याशी अपने-अपने दावे कर रहे हैं, वोटरों को लुभाने के लिए तरह-तरह के वादे कर रहे हैं। लेकिन एक दिलचस्प वाकया भी सामने आया है जहां प्रधान पद की एक प्रत्याशी ने स्टांप पेपर पर लिखकर ग्रामीणों से वादा किया है कि वे उनके बीच रहकर उनके काम करेंगी। अगर काम नहीं करेंगी तो ग्रामीण उन्हें फौरन पद से हटा सकते हैं।
महिला प्रत्याशी का अनोखा वादा
रुद्रप्रयाग जिले के जखोली ब्लॉक की स्यूर ग्राम पंचायत महिला प्रत्याशी के लिए आरक्षित है। यहां वोटरों को लुभाने के लिए प्रत्याशी तरह-तरह के दावे कर रहे हैं। लेकिन प्रधान प्रत्याशी माहेश्वरी नेगी ने वोटरों से जो वादे किए हैं, उन्हें स्टांप पेपर पर लिखवा लिया है। माहेश्वरी नेगी मां चंडिका की कसम खाकर कहती हैं कि "मैंने स्टांप पेपर पर लिखवा लिया है कि मैं हमेशा ग्रामीणों के बीच रहूंगी और उनके काम करवाऊंगी।"
उन्होंने स्पष्ट किया कि "अगर मैं उनसे दूर रही या उनके काम नहीं करवा पाई तो कर्तव्यों का पालन न करने के लिए ग्रामीण मुझे कभी भी पद से हटा सकते हैं। इस बात की गारंटी ये शपथ पत्र हो जो हर ग्रामीण के फोन में उपलब्ध है।" ऐसा वादा करना वास्तव में एक अद्वितीय कदम है और इससे यह साफ होता है कि प्रत्याशी कितना गंभीर और जिम्मेदार है।
समझदारी और पारदर्शिता का प्रतीक
इस वादे ने ग्रामीणों में एक नई ऊर्जा और उम्मीद जगाई है। प्रत्याशी की इस सोच से यह स्पष्ट होता है कि वे जनता की आवाज और उनकी जरूरतों को समझती हैं। ऐसा कदम न केवल चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाता है, बल्कि यह अधिकारियों के प्रति जनता का विश्वास भी बढ़ाता है।
चुनाव में इस तरह के वादे करना किसी भी प्रत्याशी के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन माहेश्वरी नेगी ने यह साबित कर दिया है कि अगर इरादे सच्चे हों तो कुछ भी संभव है। इससे अन्य प्रत्याशियों को भी सीख लेनी चाहिए कि उन्हें भी अपने काम को लेकर समर्पित होना होगा।
ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
ग्रामीणों ने इस पहल का स्वागत किया है और उन्हें उम्मीद है कि विद्युत, पानी, सफाई और अन्य मूलभूत सुविधाओं में सुधार होगा। कई लोगों ने कहा कि यह एक सकारात्मक पहल है और हमें ऐसे नेताओं की आवश्यकता है जो जनता के प्रति जिम्मेदार हों।
इस चुनावी माहौल में, माहेश्वरी की तरह अन्य प्रत्याशी भी जनसेवा का वादा करें और अपने वादों को निभाने के लिए प्रतिबद्ध हों। इससे न केवल चुनावी प्रक्रिया में सुधार होगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की एक नई दिशा भी मिलेगी।
हालांकि, इस अभियान की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि प्रत्याशी अपना वादा निभा पाती हैं या नहीं। यह केवल चुनावी दावे नहीं बल्कि कार्य करने की वास्तविक प्रतिबद्धता है जो उन्हें एक सफल नेता बनाएगी।
निष्कर्ष
इस घटनाक्रम ने उत्तराखंड के चुनावी परिदृश्य को एक नया मोड़ दिया है। माहेश्वरी नेगी के स्टांप पेपर पर लिखे गए वादे ने यह सिद्ध कर दिया है कि अगर नेतागण अपने वादों को गंभीरता से लें, तो वे निश्चित रूप से जनता का विश्वास जीत सकते हैं।
आइए हम सभी इस बात का समर्थन करें कि हमारे नेता अपने वादों को निभाने के लिए प्रतिबद्ध रहें, ताकि ग्रामीण विकास की दिशा में एक ठोस कदम उठाया जा सके। भविष्य में, इस तरह की जनतंत्र की नई परिकल्पनाएं देखने को मिलेंगी।
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