डिजिटल भारत का एक दशक

डिजिटल भारत का एक दशक
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लिखा गया: साक्षी शर्मा, सुमिता अग्रवाल, और प्रियंका नायर द्वारा
डिजिटल भारत का एक दशक हमें बताता है कि कैसे हमने एक ऐसा मिशन शुरू किया जो तकनीकि के माध्यम से हर भारतीय के जीवन में परिवर्तन लाने का वादा करता है। मिलिए इस सफर के साथ, जिसने 2014 से आज तक, भारतीय समाज को नई सोच और सशक्तीकरण की दिशा में आगे बढ़ाया है।
प्रस्तावना: एक नया युग
दस साल पहले, हमने एक ऐसे क्षेत्र में यात्रा शुरू की थी जहां किसी ने पहले कदम नहीं रखा था। उस समय भारत में तकनीकी संरचना बहुत कमजोर थी। लेकिन इस दशक में, तकनीक ने हमारा दृष्टिकोण ही नहीं बदला, बल्कि हमारे जीवन को भी समृद्ध किया। डिजिटल भारत ने भारतीयों को सशक्त करने के साथ-साथ संकटों को भी हल किया है।
डिजिटल डिवाइड का समापन
2014 में, भारत में 25 करोड़ इंटरनेट कनेक्शन थे। आज यह संख्या 97 करोड़ से अधिक हो चुकी है। इंटरनेट की पहुंच ने गांवों और शहरों के बीच की खाई को कम किया है। अब ग्रामीण इलाकों में भी लोग हाई स्पीड इंटरनेट का लाभ उठा सकते हैं। यह केवल कनेक्टिविटी नहीं, बल्कि विकास का एक सशक्त साधन है।
सरकार की पहल और परियोजनाएँ
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से 44 लाख करोड़ रुपये की राशि सीधे नागरिकों को हस्तांतरित की गई है, जिससे कई बिचौलियों की जरूरत खत्म हुई है। यह प्रक्रिया न केवल पारदर्शिता को बढ़ावा देती है, बल्कि आर्थिक साक्षरता में वृद्धि भी करती है।
समावेशी अर्थव्यवस्था का निर्माण
डिजिटल इंडिया ने छोटे उद्यमियों और MSMEs को सशक्त बनाने का काम किया है। ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) ने विक्रेताओं और खरीदारों के बीच संपर्क स्थापन कर नए अवसरों का द्वार खोला है। राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
वैश्विक मान्यता
भारत का डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त कर चुका है। जैसे कि आधार, CoWIN, और डिजिलॉकर जैसी परियोजनाएं जिनकी अद्वितीयता से पूरा विश्व प्रभावित हुआ है। अब ये प्लेटफार्म विकासशील देशों के लिए आदर्श बनते जा रहे हैं।
अगले दशक की संभावनाएँ
आने वाला दशक और भी अधिक परिवर्तनकारी हो सकता है। भारत अब न केवल डिजिटल गवर्नेंस पर केंद्रित है, बल्कि वैश्विक डिजिटल नेतृत्व को भी विचार में लाया है। ये सभी पहलें हमें एक आत्मनिर्भर भारत की ओर ले जा रही हैं।
निष्कर्ष: विश्वास और समर्पण
डिजिटल भारत अब केवल एक सरकारी कार्यक्रम नहीं रहा, बल्कि यह एक जनआंदोलन बन चुका है। आइए हम सभी एक साथ मिलकर इस परिवर्तन की यात्रा को आगे बढ़ाएं और विश्व को बताएं कि भारत में नवाचार की कितनी क्षमता है।
जिन्हें इस विषय में और जानकारी चाहिए, कृपया हमारे वेबसाइट asarkari.com पर जाएं।
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