अव्यवस्थाओं पर जनता ने शंभू पासवान को घेरा, मेयर ने कहा गाड़ी चढ़ाओ, हंगामे के बीच बुलानी पड़ी पुलिस

Jul 5, 2025 - 18:30
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अव्यवस्थाओं पर जनता ने शंभू पासवान को घेरा, मेयर ने कहा गाड़ी चढ़ाओ, हंगामे के बीच बुलानी पड़ी पुलिस
अव्यवस्थाओं पर जनता ने शंभू पासवान को घेरा, मेयर ने कहा गाड़ी चढ़ाओ, हंगामे के बीच बुलानी पड़ी पुलिस

अव्यवस्थाओं पर जनता ने शंभू पासवान को घेरा, मेयर ने कहा गाड़ी चढ़ाओ, हंगामे के बीच बुलानी पड़ी पुलिस

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रैबार डेस्क: ऋषिकेश में सड़क निर्माण कार्य में हीलाहवाली पर मेयर शंभू पासवान के खिलाफ रविवार को जनता का गुस्सा फूट पड़ा। कांग्रेस नेता दीपक जाटव के नेतृत्व में स्थानीय निवासियों ने मेयर का घेराव किया और उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी की। यह घटना स्थानीय लोगों के बीच सड़क निर्माण में लापरवाही और देरी को लेकर बढ़ते असंतोष का नतीजा है।

घटना का विस्तार

घटना परशुराम चौक से शुरू होकर गंगानगर और शांतिनगर इलाकों तक फैली। लोगों का आरोप है कि सड़क निर्माण का कार्य अत्यंत धीमा है और जेसीबी द्वारा की गई खुदाई के कारण गड्ढे बन गए हैं। बारिश के चलते यह गड्ढे पानी से भर गए हैं जिससे स्थानीय निवासियों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

जब मेयर शंभू पासवान ने घेराव से निकलने की कोशिश की तो उन्हें भीड़ द्वारा रोका गया। इस पर गुस्से में आकर मेयर ने अपने चालक से कहा, "गाड़ी चढ़ाओ।" यह टिप्पणी सुनकर दीपक जाटव तिलमिलाए और मेयर पर गुंडागर्दी का आरोप लगाने लगे। यह कड़ा विरोध और तीखी बहस उस समय बढ़ गई जब स्थानीय लोगों ने मेयर को हर तरफ से घेर रखा था।

पुलिस की दखलंदाजी

जैसे ही स्थिति हाथ से बाहर होने लगी, पुलिस को बुलाया गया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया और मेयर शंभू पासवान को विरोध से बाहर निकाला। इस पूरी घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में मेयर और दीपक जाटव के बीच की बहस साफ तौर पर देखी जा सकती है।

स्थानीय नागरिकों की नाराजगी

स्थानीय नागरिकों के मन में प्रशासन के प्रति निराशा बढ़ती जा रही है। लोग न्याय और उचित सड़क निर्माण की मांग कर रहे हैं। कुछ नागरिकों का कहना है कि यदि समय पर प्रशासन ने इस मुद्दे का समाधान नहीं किया, तो वे और बड़े आंदोलन की योजना बना सकते हैं।

निष्कर्ष

यह घटना यह दर्शाती है कि प्रशासनिक लापरवाही का खामियाजा आम जनता को उठाना पड़ता है। ऐसे समय में, स्थानीय नेताओं का कर्तव्य है कि वे जनता की समस्याओं की सही तरह से आवाज उठाएं। क्या यह घटना स्थानीय प्रशासन के लिए एक चेतावनी हो सकती है? देशभर में ऐसी घटनाएं आम होती जा रही हैं और यह समय है कि उचित कदम उठाए जाएं ताकि जनता का विश्वास पुनः स्थापित किया जा सके।

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