48 घंटे बाद फांसी तय…आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, क्या बचा पाएंगे निमिषा को?

48 घंटे बाद फांसी तय…आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, क्या बचा पाएंगे निमिषा को?
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नई दिल्ली: यमन के एक नागरिक की हत्या के लिए अदालत द्वारा सुनाई गई मौत की सजा ने भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की जिंदगी को खतरे में डाल दिया है। 16 जुलाई को फांसी की संभावना के बीच, निमिषा के परिवार और विभिन्न संगठनों ने भारत सरकार से उसके लिए राजनयिक प्रयास करने की मांग की है।
मामले की पृष्ठभूमि
निमिषा प्रिया पर आरोप है कि उसने जुलाई 2017 में अपने स्थानीय व्यापारिक साझेदार तलाल अब्दो मेहदी को नशीला पदार्थ देकर उसकी हत्या कर दी। बाद में, आरोप है कि उसने एक अन्य नर्स की मदद से उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और क्षत-विक्षत अंगों को एक भूमिगत टैंक में फेंक दिया। यह मामला तब सामने आया जब मेहदी की हत्या की जानकारी मिली, जिसके बाद निमिषा को गिरफ्तार किया गया। सूत्रों के अनुसार, उसने अपने बयान में हत्या की बात कबूल भी की।
फांसी की सजा और कानूनी लड़ाई
यमन की अधीनस्थ अदालत ने निमिषा को मौत की सजा सुनाई, जिसे उसने यमन की सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी थी, लेकिन उसकी अपील खारिज कर दी गई। यमन के राष्ट्रपति से भी दया की अपील की गई, लेकिन उन्होंने भी कोई राहत नहीं दी। मृतक का परिवार भी माफी नहीं देना चाहता, जिससे उसकी स्थिति और पेचीदा हो गई है।
भारत सरकार का रवैया
इस बीच, कई राजनीतिक दल, विशेषकर केरल से, निमिषा के लिए भारत सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह मामले की कड़ी निगरानी कर रहा है और हरसंभव सहायता प्रदान कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
आज, भारत का उच्चतम न्यायालय निमिषा की याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें केंद्र से उसे बचाने के लिए राजनयिक माध्यमों का उपयोग करने का आग्रह किया गया है। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ इस महत्वपूर्ण मामले पर सुनवाई करेगी।
निष्कर्ष
निमिषा प्रिया का मामला न केवल उसकी जिंदगी पर असर डाल रहा है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दा भी बन गया है। अब देशभर की नज़रें सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर लगी हुई हैं। क्या निमिषा प्रिया को इस संकट से बाहर निकाल पाना संभव होगा? इस सवाल का जवाब आज के सुनवाई के दौरान मिल सकता है।
निमिषा के परिजनों और उसके समर्थकों की दुआएँ उसके साथ हैं, और सभी उम्मीद कर रहे हैं कि न्यायालय उचित निर्णय देगा।
साल 2008 से यमन में नर्स का काम कर रही निमिषा प्रिया की कहानी ने सभी को एक नई सोचने पर मजबूर किया है। इससे यह भी प्रतित होता है कि विदेशी जमीन पर काम करने वाले भारतीय नागरिकों को अपनी सुरक्षा और न्याय के लिए कब तक संघर्ष करना होगा।
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