नीति आयोग की मानव पूँजी से संबंधित क्रांति

Jul 15, 2025 - 09:30
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नई दिल्ली : भारत जैसे विशाल और वैविध्‍यपूर्ण देश में प्रगति का वास्‍तविक पैमाना केवल जीडीपी के आँकड़ों या बुनियादी ढाँचे की उपलब्धियों में नहीं, बल्कि इस बात में निहित है कि वह देश अपनी जनता का कितने बेहतर ढंग से पोषण करता है। मानव पूँजी—हमारी शिक्षा, कौशल, स्वास्थ्य और उत्पादकता— केवल एक आर्थिक संपत्ति ही नहीं, बल्कि नैतिक अनिवार्यता भी है। पिछले दस वर्षों में, भारत के प्रमुख नीतिगत थिंक टैंक-नीति आयोग के नेतृत्व में एक शांत लेकिन प्रभावशाली क्रांति ने आकार लिया है, जिसने देश द्वारा अपने सबसे महत्‍वपूर्ण संसाधन, यानी अपने नागरिकों, में निवेश करने के तरीके को नए आकार में ढाला है।

युवाओं की आवश्यकताओं पर ध्यान

एक ऐसे देश में जहाँ 65 प्रतिशत से ज़्यादा आबादी 35 साल से कम उम्र वाले लोगों की है, तो वह जनसांख्यिकीय लाभांश बेहद दुर्लभ अवसर प्रस्तुत करता है। लेकिन इस युवा आबादी का विशाल आकार अपने साथ एक बड़ी ज़िम्मेदारी भी लेकर आता है। प्रमुख चुनौती इस युवा ऊर्जा को आर्थिक विकास और राष्ट्रीय विकास की शक्ति में रूपांतरित करना है। यहीं पर नीति आयोग एक दूरदर्शी उत्प्रेरक के रूप में उभरा है – जो न केवल आज की प्रगति, बल्कि भविष्य की समृद्धि का भी रोडमैप तैयार कर रहा है।

शिक्षा और कौशल पर नज़र

पिछले एक दशक में, नीति आयोग एक थिंक टैंक से एक सुधारवादी साधन और कार्यान्वयन भागीदार के रूप में विकसित हुआ है, जो आँकड़ों, सहयोग और मानव-केंद्रित डिज़ाइन द्वारा समर्थित साहसिक विचारों के लिए जाना जाता है। इसने शिक्षा की पूरी रूपरेखा को नए सिरे से परिकल्‍पना की है। नीतिगत सुधारों के तहत, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने आलोचनात्मक चिंतन और व्यावसायिक एकीकरण पर ज़ोर दिया है।

कौशल भारत मिशन के तहत 1.5 करोड़ से ज़्यादा युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है, जिसमें तकनीकी कौशल और माँग-आधारित पाठ्यक्रम शामिल हैं। इसने कक्षा और करियर के बीच की खाई को पाटने में मदद की है।

स्वास्थ्य सेवा की नई परिभाषा

नीति आयोग ने स्वास्थ्य सेवा को एक लागत के रूप में नहीं, बल्कि एक निवेश के रूप में परिभाषित किया है। आयुष्मान भारत योजना ने 50 करोड़ से अधिक भारतीयों को स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया, जबकि प्राथमिक देखभाल को जमीनी स्तर तक पहुँचाने के कई स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र स्थापित किए गए।

उद्यमिता और नवाचार का उत्साह

स्टार्ट-अप इंडिया तथा अटल इनोवेशन मिशन जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से नीति आयोग ने उद्यमिता को बढ़ावा दिया है। ये कार्यक्रम न केवल रोजगार सृजन कर रहे हैं, बल्कि समस्या समाधान के लिए भी कार्य कर रहे हैं।

निष्कर्ष

नीति आयोग ने विकास के विमर्श को ऊपर उठाते हुए याद दिलाया है कि सच्ची प्रगति केवल आर्थिक वृद्धि और बुनियादी ढाँचे से नहीं, बल्कि जनता की ताकत, स्वास्थ्य और गरिमा से मापी जाती है। यह सरकार के लिए एक रोशनी की किरण बन चुकी है जो सपने देखता है, हिम्मत करता है और कर्म करता है। नीति आयोग का दृष्टिकोण सभी नागरिकों को विकास का हिस्सा बनाने का है, ताकि भारत एक सशक्त और समृद्ध राष्ट्र बन सके।

लेखक : राव इंद्रजीत सिंह, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); योजना और संस्कृति राज्य मंत्री हैं।

Keywords:

human capital, policy reforms, education policy, skill development, healthcare investment, startup initiatives, employment creation, India economy, sustainable development, youth empowerment

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