BJP के 9 विधायकों पर भारी पड़े प्रीतम सिंह, देहरादून जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं सुखविंदर कौर, प्रीतम के बेटे उपाध्यक्ष
BJP के 9 विधायकों पर भारी पड़े प्रीतम सिंह, देहरादून जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं सुखविंदर कौर, प्रीतम के बेटे उपाध्यक्ष
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रैबार डेस्क: प्रदेश की 12 जिलापंचायतों के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के लिए हुए मतदान के नतीजे आने शुरू हो गए हैं। भाजपा का दावा है कि उसने 10 जिला पंचायत अध्यक्ष पदों पर जीत हासिल की है। लेकिन राजधानी देहरादून में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर उसे अप्रत्याशित हार मिली है। यहां प्रीतम सिंह के रणनीतिक कौशल से कांग्रेस अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों पद जीतने में कामयाब रही।
देहरादून में मतदान का नतीजा
देहरादून में जिला पंचायत की 30 सीटें हैं। 31 जुलाई को आए नतीजों में भाजपा समर्थित प्रत्याशी केवल 7 सीटें ही जीत सके थे, जबकि कांग्रेस समर्थित सदस्यों ने 12 सीटें जीती थी, तथा 11 निर्दलीय जीते थे। भाजपा की ओर से विधायक मुन्ना सिंह चौहान की पत्नी मधु चौहान मैदान में थीं। भाजपा इस उम्मीद में थी कि किसी तरह निर्दलीय सदस्यों को अपने पाले में लाया जा सके।
प्रीतम सिंह की रणनीति
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रीतम सिंह ने इस बार अपनी रणनीति के तहत पूरी तैयारी की थी। उन्होंने अपने बेटों को अध्यक्ष के चुनाव में उतारने का विचार किया था, लेकिन जब यह सीट महिला आरक्षित हो गई तो उन्होंने अत्यन्त चतुराई से सुखविंदर कौर का नामांकन कराया। चुनाव में सुखविंदर के पक्ष में 17 वोट पड़े, जिससे वह अध्यक्ष बन गईं। दूसरी ओर, प्रीतम के बेटे अभिषेक सिंह ने उपाध्यक्ष पद भी जीत लिया, उन्हें 18 वोट मिले। यह कुल मिलाकर भाजपा के 9 विधायकों के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ।
नैनीताल में हंगामा
इस चुनाव के दौरान नैनीताल में भी विवाद उत्पन्न हुआ। कांग्रेस ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह गुंडागर्दी करके उनके सदस्यों को ठिकाने लगा रही है। इसके चलते हाईकोर्ट ने मामले में दखल देकर सुरक्षा के मद्देनजर मतदान कराने का आदेश दिया है। यह सभी घटनाएं भारतीय राजनीति की जटिलताओं और चुनावी रणनीतियों को उजागर करती हैं।
प्रदेश के अन्य हिस्सों में भाजपा की स्थिति
हालांकि, प्रदेश के अन्य जिलों में भाजपा ने अध्यक्ष पदों पर अपनी स्थिति मजबूत की है। चमोली, पौड़ी, अल्मोड़ा, बागेश्वर, रुद्रप्रयाग और टिहरी सहित कई जिलों में भाजपा सदस्य अध्यक्ष बने हैं। यह स्पष्ट है कि भाजपा ने कुछ क्षेत्रों में तो प्रमुखता बनाई, लेकिन देहरादून में उसे धोखा मिला है।
निष्कर्ष
यह चुनाव परिणाम यह दर्शाते हैं कि स्थानीय राजनीतिक समीकरण कैसे बदल सकते हैं। प्रीतम सिंह की रणनीति ने साबित कर दिया कि एक सशक्त नेतृत्व किसी भी समय अपने विरोधियों को टक्कर दे सकता है। भाजपा को अब अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करना होगा, खासकर देहरादून में, जहां उसे कांग्रेस से कठिन चुनौती मिली है।
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