धराली आपदा: पीड़ित ग्रामीणों ने किया प्रशासन की टीम का विरोध, राहत सामग्री न पहुंचने से आक्रोश
धराली आपदा: पीड़ित ग्रामीणों ने किया प्रशासन की टीम का विरोध, राहत सामग्री न पहुंचने से आक्रोश
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लेखिका: सुष्मिता शर्मा, प्रियंका वर्मा, टीम asarkari
रैबार डेस्क: धराली और हर्षिल क्षेत्र में आई विनाशकारी आपदा को चार दिन बीत चुके हैं। इस आपदा के कारण कई लोग प्रभावित हुए हैं और कई जिंदगियों की तलाश अभी भी मलबे में जारी है। सभी एंजेन्सी रेस्क्यू मिशन में जुटी हुई हैं, लेकिन स्थानीय ग्रामीणों में प्रशासन की अनदेखी को लेकर जबरदस्त आक्रोश है।
आपदा के चौथे दिन की स्थिति
आपदा के चौथे दिन आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ग्राउंड जीरो पर जाकर स्थिति का जायजा लिया और प्रभावित परिवारों से बातचीत की। मुख्यमंत्री के दौरे के बाद, कुछ तस्वीरें सामने आईं हैं जिसमें ग्रामीणों की नाराजगी दिखाई दे रही है। उनकी मुख्य शिकायत यह है कि जब प्रशासन धराली पहुंचा, तब उन्हें केवल 5000 रुपए की सहायता की पेशकश की गई।
ग्रामीणों का विरोध
ग्रामीणों का कहना है कि 5000 रुपए जैसी छोटी राशि से उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता। आपदा के चार दिन बीत जाने के बावजूद, राहत सामग्री उनके गांव तक नहीं पहुंचाई गई है। धराली में राशन, बिजली, और संचार सेवाएं पूरी तरह ठप हो गई हैं। ऐसे में, ग्रामीणों ने प्रशासन, स्थानीय विधायक और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और अपने अधिकारों की मांग की।
सरकारी उपाय और स्थानीय हालात
आपदा में फंसे लोगों के लिए रेस्क्यू जारी है, जबकि धराली और उसके आसपास के गांवों में राहत सामग्री का अभाव है। मुखवा और बगोरी जैसे गांवों में राहत सामग्री दी जा रही है, लेकिन धराली में कोई मदद नहीं मिल रही। स्थानीय नागरिक प्रशासन के प्रति आक्रोशित हैं और उनका कहना है कि राहत सामग्री और संसाधनों की भारी कमी है।
संभावित समाधान
इस स्थिति में तत्काल राहत उपायों की आवश्यकता है। प्रशासन को चाहिए कि वह धराली जैसी प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री और सेवाएं तुरंत पहुंचाए। इसके साथ ही, ग्रामीणों के प्रति संवेदनशीलता और प्रभावी संवाद स्थापित करना अति आवश्यक है। सरकार को ऐसी योजनाएँ बनानी चाहिए जिससे ऐसी घटनाओं में पहले से तैयारी की जा सके।
निष्कर्ष
धराली आपदा के पीड़ित ग्रामीणों का आक्रोश इस बात को दर्शाता है कि जिम्मेदार एजेंसियों को आपदा प्रबंधन में और अधिक सजग रहना होगा। प्रशासन की अनदेखी से न केवल पीड़ितों का मनोबल टूटता है, बल्कि यह संपूर्ण स्थानीय समुदाय के भविष्य पर भी प्रश्नचिन्ह लगाता है।
आगे चलकर हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इस प्रकार की आपदाओं में प्रभावित लोगों को समय पर सहायता मिल सके। इसके लिए लोगों को अपनी आवाज उठाने और प्रशासन से संवाद करने का मार्ग अपनाना होगा।
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