अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन व भारत विकास परिषद ने हरेला पर्व पर की सराहनीय पहल : 175 से भी अधिक पौधों का किया निशुल्क वितरण

अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन व भारत विकास परिषद ने हरेला पर्व पर की सराहनीय पहल : 175 से भी अधिक पौधों का किया निशुल्क वितरण
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देहरादून में बागवानी प्रेमियों का दिल जीतने वाला एक उत्कृष्ट आयोजन हुआ, जहां अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन और भारत विकास परिषद ने हरेला पर्व के उपलक्ष्य में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। गांधी पार्क के मुख्य प्रवेश द्वार पर 175 से अधिक पौधों का निशुल्क वितरण किया गया। इस पहल की सराहना हर किसी ने की, और उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में प्रेरणा दी।
कार्यक्रम की रूपरेखा
यह आयोजन एक संक्षिप्त लेकिन प्रभावशाली समारोह था, जिसमें प्रमुख अतिथियों के माध्यम से पौधों का वितरण किया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के प्रदेश अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने उपस्थित नागरिकों को जागरूक करते हुए कहा कि वृक्षारोपण न केवल आज के पर्यावरण के लिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी अति आवश्यक है। उन्होंने "जलवायु संकट" को संबोधित करते हुए वृक्षों के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया।
विशेष अतिथियों का योगदान
इस अवसर पर, उत्तर भारत के प्रसिद्ध वास्तुविद डॉ. सतीश अग्रवाल ने देहरादूनवासियों से अपील की कि वे अपने घरों में तुलसी और अन्य पौधे लगाएं। उनका कहना था कि तुलसी की पूजा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। समाजसेवी श्रीमती शालू जैन ने महिलाओं से आग्रह किया कि वे इस पहल में सक्रिय भाग लें और अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखने में योगदान दें।
पौधों का वितरण और प्रतिक्रियाएँ
कार्यक्रम में कुल 175 से अधिक पौधों का वितरण किया गया, जिनमें तुलसी, आंवला, बेलपत्र, नीम और गुलमोहर जैसे विभिन्न प्रजातियां शामिल थीं। पौध प्राप्त करने वाले नागरिकों ने गर्मजोशी से इस पहल की सराहना की और ऐसे आयोजनों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
समापन विचार
इस कार्यक्रम ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि सामूहिक प्रयासों से पर्यावरण संरक्षण संभव है। अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन और भारत विकास परिषद ने उच्च उद्देश्य से यह आयोजन किया, जो न केवल वृक्षारोपण के प्रति जागरूकता फैलाने में सहायक रहा, बल्कि सामाजिकता के एक दृष्टिकोण को भी प्रस्तुत किया। इस एक छोटे से कदम ने स्थानीय निवासियों के दिलों में एक बड़ा बदलाव लाने का काम किया है। हम उम्मीद करते हैं कि ऐसे आयोजन आगे भी होते रहेंगे और अधिक से अधिक लोग इस दिशा में कदम बढ़ाएंगे।
जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण को कम करने के लिए समाज के हर वर्ग को इस तरह की पहलों में शामिल होना चाहिए। इसके लिए स्थानीय प्रशासन, सामाजिक संस्थाओं और नागरिकों को एक साथ आने की आवश्यकता है, ताकि संतुलित पारिस्थितिकी की दिशा में एक ठोस कदम उठाया जा सके।
अग्रवाल सम्मेलन और भारत विकास परिषद की इस पहल को देख कर निश्चित रूप से यह कहना गलत नहीं होगा कि हम एक सकारात्मक बदलाव की ओर बढ़ रहे हैं।
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