भीमताल के ऐतिहासिक हरेला मेले की शुरुआत, 6 दिन तक दिखेगी कुमाउंनी संस्कृति की झलक

Jul 17, 2025 - 00:30
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भीमताल के ऐतिहासिक हरेला मेले की शुरुआत, 6 दिन तक दिखेगी कुमाउंनी संस्कृति की झलक
भीमताल के ऐतिहासिक हरेला मेले की शुरुआत, 6 दिन तक दिखेगी कुमाउंनी संस्कृति की झलक

भीमताल के ऐतिहासिक हरेला मेले की शुरुआत, 6 दिन तक दिखेगी कुमाउंनी संस्कृति की झलक

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रैबार डेस्क: रामलीला मैदान मल्लीताल में भीमताल का ऐतिहासिक हरेला महोत्सव शुरू हो गया है। यह महोत्सव 21 जुलाई तक चलेगा, जिसमें कुमांऊनी संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। महोत्सव का शुभारंभ नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य द्वारा किया गया।

हरेला महोत्सव का उद्देश्य और महत्व

हरेला महोत्सव, जो कि कुमांऊनी संस्कृति का प्रतीक है, विशेष रूप से पर्यावरण की रक्षा और वृक्षारोपण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। इस महोत्सव के दौरान, स्थानीय लोग पारंपरिक कुमांऊनी पोशाक में सज-संवरकर भाग लेते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रम में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं। इस प्रकार के आयोजन न केवल सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का काम करते हैं बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

महत्वपूर्ण कार्यक्रम और गतिविधियाँ

हनुमान मंदिर मल्लीताल में हरेला चढ़ाने के साथ ही महोत्सव की औपचारिक शुरुआत हुई। इसके बाद स्थानीय महिलाओं ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए, जिसमें पारंपरिक नृत्य और गीतों का प्रदर्शन किया गया। महोत्सव के दौरान एक व्यापक वृक्षारोपण अभियान भी चलाया गया है, जिसमें स्थानीय जनता और स्कूली बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

उद्घाटन समारोह में पूर्व विधायक संजीव आर्य, नगर पालिका अध्यक्ष सीमा टम्टा, मेला अधिकारी उप जिलाधिकारी नैनीताल नवाजे खलिक, अधिशासी अधिकारी उदयवीर सिंह एवं समस्त सभासद उपस्थित रहे। इस अवसर पर 200 से अधिक दुकानें और झूले भी लगाए गए हैं, जो मेले की रौनक को दोगुना कर रहे हैं।

स्थानीय लोगों की सहभागिता

हरीला महोत्सव में स्थानीय लोगों की सहभागिता न केवल उत्सव का हिस्सा बनती है बल्कि यह समुदाय के साथ जुड़ने और आपसी संबंधों को मजबूत करने का भी एक माध्यम बनाता है। इस महोत्सव के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने से युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति को समझने और सराहने का मौका पाती है।

निष्कर्ष

भीमताल का हरेला महोत्सव सिर्फ एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह हमारी पर्यावरणीय जिम्मेदारियों और कुमांऊनी धरोहर को संजोने का एक आमंत्रण है। हम सभी को इस प्रकार के आयोजनों में भाग लेकर उन्हें सफल बनाना चाहिए। इसके अलावा, अगर आप और अधिक अपडेट्स चाहते हैं तो कृपया asarkari.com पर जाएं।

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