जलवायु-लचीली कृषि के लिए एआई-संचालित संदर्भ-विशिष्ट कृषि परामर्श सेवाएं, परियोजनाओं का शुभारंभ हुआ

Jul 31, 2025 - 09:30
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जलवायु-लचीली कृषि के लिए एआई-संचालित संदर्भ-विशिष्ट कृषि परामर्श सेवाएं, परियोजनाओं का शुभारंभ हुआ
जलवायु-लचीली कृषि के लिए एआई-संचालित संदर्भ-विशिष्ट कृषि परामर्श सेवाएं, परियोजनाओं का शुभारंभ हुआ

जलवायु-लचीली कृषि के लिए एआई-संचालित संदर्भ-विशिष्ट कृषि परामर्श सेवाएं, परियोजनाओं का शुभारंभ हुआ

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हैदराबाद में आयोजित एक महत्वपूर्ण कार्यशाला के दौरान, अंतरराष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान-आई.सी.आर.आई.एस.ए.टी. ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आई.सी.ए.आर.) और अन्य संगठनों के सहयोग से जलवायु-लचीली कृषि के लिए नवीनतम ए.आई.-संचालित व्यक्तिगत और वास्तविक समय की कृषि सलाह सेवाओं का शुभारंभ किया। यह पहल अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में छोटे किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बीच सटीक और सूचनापूर्ण निर्णय लेने में मदद करने के उद्देश्य से प्रारंभ की गई है।

कार्यक्रम का महत्व

केन्द्रीय सरकार के मॉनसून मिशन-तीन द्वारा समर्थित इस परियोजना का केंद्र बिंदु यह सुनिश्चित करना है कि छोटे किसान बढ़ती जलवायु परिवर्तनशीलता का सामना कर सकें। इससे वे बेहतर और अधिक सूचित निर्णय लेने में सक्षम होंगे। यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो कृषि उत्पादकता को बढ़ाता है और इन किसानों के जीवन स्तर में सुधार लाता है।

प्रौद्योगिकी का उपयोग

इस परियोजना में उपयोग की जाने वाली तकनीकों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ए.आई.) और मशीन लर्निंग जैसे उन्नत उपकरण शामिल हैं। इन तकनीकों का उपयोग करते हुए, उपयोगकर्ता के अनुकूल डिजिटल चैनलों के माध्यम से सलाह प्रदान की जाएगी, जिसमें ए.आई.-संचालित व्हाट्सएप बॉट भी शामिल हैं। यह किसानों को समय पर और प्रभावी सलाह देने में मदद करेगा।

प्रारंभिक कार्यान्वयन

प्रথম चरण में, इस परियोजना को महाराष्ट्र में आई.सी.ए.आर. की कृषि-मौसम विज्ञान क्षेत्र इकाइयों के माध्यम से लागू किया जाएगा। यहाँ पर मिली जानकारी के आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर इसके कार्यान्वयन को प्रेरित किया जाएगा। इससे न केवल महाराष्ट्र में, बल्कि दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में भी इस परियोजना का विस्तार हो सकेगा।

सामाजिक प्रभाव

यह परियोजना किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक लचीला बनाएगी, जिससे वे तेजी से बदलती जलवायु परिस्थितियों के अनुरूप अपने कृषि प्रबंधन को अनुकूलित कर सकेंगे। वैकल्पिक फसलों का चयन, सटीक सिंचाई और मिट्टी का प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लेने में भी यह तकनीक मददगार होगी।

निष्कर्ष

जलवायु-लचीली कृषि के लिए ये ए.आई.-संचालित सेवाएं भारत में कृषि क्षेत्र में तकनीकी नवाचार का एक उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। इस दिशा में उठाए गए कदम न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाएंगे, बल्कि समग्र रूप से भारतीय कृषि को भी जलवायु परिवर्तन से सुरक्षित रखेंगे। इस तरह की पहलों के माध्यम से छोटे किसान एक स्थायी भविष्य की ओर अग्रसर हो रहे हैं।

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