यू ही कोई जननायक नहीं बन जाता

Jul 6, 2025 - 00:30
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“जननायक” शब्द का अर्थ है “लोगों का नेता”, और एक सच्चा जननायक वह होता है जो लोगों के लिए समर्पित हो और उनके भले के लिए काम करे। क्योंकि किसी भी नेता को “जननायक” तब माना जाता है जब वह सरकार से लेकर किसानों के खेतों तक, सभी स्तरों पर लोगों की नब्ज पकड़ कर समस्या को जान लेने का हुनर रखता हो और उस समस्या का समाधान उपस्थित करने की क्षमता भी रखता हो।

अच्छे लीडर की पहचान ही यही है कि उसे समाज के हर वर्ग की जरूरतों और समस्याओं की समझ हो, चाहे वह समाज में उच्च पद पर बैठा व्यक्ति हो या फिर एक साधारण किसान। एक जननायक को इन दोनों स्तरों पर काम करना होता है, और यह सुनिश्चित करना होता है कि समाज के सभी वर्गों को न्याय मिले, और सभी को विकास के समान अवसर मिले।

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी का दरश्त

दस्तक ब्यूरो: आषाढ़ की रिमझिम बारिश के बीच उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद को पानी में डूबे खेतों में उतरने से रोक नहीं पाए। झक सफेद पतलून को घुटनों तक चढ़ा कर वे भी ग्रामीण महिलाओं के साथ पहाड़ की पारंपरिक और सांस्कृतिक विरासत ‘हुड़किया बौल’ में शामिल हो गए। धामी ने पूरे उत्साह के साथ अपने गृह नगर खटीमा के नगरा तराई में खेत में धान की रोपाई की।

किसान यह देखकर उस वक्त दंग रह गए जब धामी पूरी कुशलता और संतुलन के साथ दो बैलों को पटरे में जोत से खेत को समतल करने के लिए ‘मै लगाते’ दिखे। खेतों में खड़े सीएम उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा “हुड़किया बौल” के जरिए भूमि के देवता, पानी के देवता इंद्र, और छाया के देव मेघ की वंदना करते नजर आए।

धामी के मुख्यमंत्री बनने की कहानी

भारतीय राजनीतिक जमीन पर यह एक दुर्लभ नजारा था। खटीमा धामी की कर्मभूमि रही है। धामी परिवार खटीमा के नगरा तराई में रहने लगा और तब शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि धामी पहली बार इसी शहर से विधायक बनकर सदन में जाएंगे और देखते-देखते सूबे के मुख्यमंत्री बन जाएंगे।

तराई में अपने बचपन के दिनों में उन्होंने किसानों को धान की रोपाई करते देखा है। उनकी जिंदगी की यह यात्रा और उनकी साधारणता उन्हें लोगों के दिलों में बसी हुई है। धामी उत्तराखंड के पहले ऐसे नेता हैं जो कुमाऊँ में जितने लोकप्रिय हैं, उससे ज़्यादा उन्हें गढ़वाल के लोग अपना मानते हैं।

जनता से सीधा संवाद

22 जून 2025 को उनकी सुबह सैर की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं। एक यूजर ने लिखा, “नेता दरबार लगाते हैं, धामी जनता के दरबार में जाते हैं। जैसे-जैसे सूरज उगता है, धामी की सैर खत्म हो जाती है, लेकिन उनके संकल्प की रोशनी उत्तराखंड के हर कोने को रौशन करती रहती है।”

उनकी सादगी ने उन्हें उत्तराखंड का सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री बना दिया है। कभी खेतों में रोपाई करते हुए तो कभी सड़कों पर सैर करते हुए, धामी न केवल लोगों की समस्याएं सुनते हैं, बल्कि उनके सपनों को भी समझते हैं।

निष्कर्ष

यह एक ऐसी कहानी है, जो न केवल एक मुख्यमंत्री की सादगी को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि सच्चा नेतृत्व वही है, जो जनता के दरबार में जाकर उनके दिलों को जीते। तभी एक नेता जननायक बन पाता है। एक जननायक वो होता है, जो लोगों के बीच रहकर उनकी भावनाओं को समझता है और उनके लिए निरंतर सक्रिय रहता है।

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